जयपुर: विधानसभा में 'दादी' शब्द के इस्तेमाल के बाद मचा बावल अब अलग ही रूप लेता जा रहा है. एक तरफ जहां कांग्रेस विधायकों के निलंबन के बाद विपक्ष के नेता विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे हैं. दूसरी ओर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी विपक्ष की ओर से किए गए शब्दों के इस्तेमाल पर इस कदर आहत हुए कि सदन में बोलते वक्त भावुक हो गए और उनके आंसू छलक पड़े.
स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कहा कि 'मैं अध्यक्ष पद पर अपमान सहने के लिए नहीं बैठा हूं. कुर्सी की अपनी गरिमा होती है, उसका पालन हमेशा किया जाना चाहिए. विपक्ष के सदस्यों ने अध्यक्ष के लिए जिस प्रकार के शब्दों का इस्तेमाल किया है, उसके लिए उन्हें क्या सजा दी जानी चाहिए. इसका निर्णय में सदन में बैठे सदस्यों पर छोड़ता हूं'.
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दरअसल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सोमवार को विधानसभा में अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को लेकर कुछ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था. इस पर विधानसभा में मंगलवार को चर्चा हुई. चर्चा के दौरान सत्तापक्ष और अन्य पार्टियों के साथ ही निर्दलीय विधायकों ने डोटासरा द्वारा कहे गए शब्दों पर प्रतिक्रिया दी. संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल, सरकारी मुख्य सचेतक योगेश्वर गर्ग और विधायक गोपाल लाल शर्मा ने निंदा करते हुए सख्त एक्शन लेने का आग्रह किया. वहीं राष्ट्रीय लोकदल सदस्य सुभाष गर्ग ने विधानसभा अध्यक्ष से बड़ा दिल रखकर क्षमा करने का आग्रह किया. सदन में अन्य राजनीतिक दलों और निर्दलीय विधायकों ने भी डोटासरा के बयान पर निंदा की.
ऐसे शब्द पहले कभी नहीं बोले गए: विधानसभा में सदस्यों की चर्चा के बाद अध्यक्ष वासुदेव ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा के सदस्य ने जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया, वे न केवल राजस्थान विधानसभा के, बल्कि देश के राजनीतिक इतिहास में इस तरह से कभी नहीं बोले गए. 'उनके इस तरह के बयानों ने मुझे बहुत ज्यादा आहत किया है. मैं अपमान सहने के लिए नहीं बैठा हूं. अब मैं सदस्यों पर ही निर्णय लेने की जिम्मेदारी छोड़ता हूं'.
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भावुक हुए देवनानी:विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, उनको मैं सदन में बोल भी नहीं सकता. देवनानी ने कहा कि सोमवार को तय हुआ था कि पहले विपक्ष की ओर से जो घटनाक्रम हुआ उस पर खेद प्रकट किया जाएगा, उसके बाद मंत्री खेद प्रकट करेंगे, लेकिन उन्होंने उस व्यवस्था को भी नहीं माना. इसके बाद देवनानी ने कहा कि 'आज मैं इस आसान से व्यवस्था देता हूं कि जब भी कोई पक्ष - विपक्ष का सदस्य आसन की तरफ बढ़ेगा तो वह स्वत: ही निलंबित माना जाएगा. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मैंने हमेशा न्याय संगत निर्णय लेने की कोशिश की. उसके बावजूद जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया गया, उसने मुझे बहुत ज्यादा आहत किया है. देवनानी इतना बोलते बोलते भावुक हो गए. उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े'.
सदन के सदस्य बनने योग्य नहीं : 'देवनानी ने कहा कि जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया वे अपमानजनक हैं. यह मेरा अपमान नहीं, आसन का अपमान है. कुछ सदस्यों ने कहा ऐसा व्यक्ति सदन का सदस्य बनने योग्य भी नहीं है. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उनके बारे में अब सदन को तय करना है कि क्या किया जाना चाहिए. मैंने सबको समान अधिकार देने कोशिश की, लेकिन उसके बावजूद भी इस तरह के आरोप लगे और जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया. वह ठीक नहीं है. आज मैं अपनी आत्मा से दुखी हूं कि मेरे लिए इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया गया है'.