Lok Sabha Election 2024: सोनीपत सीट पर कांग्रेस इस मशहूर पहलवान को दे सकती है टिकट, टूट सकता है बीजेपी के हैट्रिक का सपना - SONIPAT LOK SABHA CONSTITUENCY - SONIPAT LOK SABHA CONSTITUENCY
SONIPAT LOK SABHA CONSTITUENCY: जाट लैंड सोनीपत में इस बार मुकाबला कड़ा है. बीजेपी की राह 2014 और 2019 की तरह आसान नहीं है. बीजेपी अपनी हैट्रिक लगाने की कवायद में जुटी है तो कांग्रेस लगातार दो हार का बदला लेने की कोशिश में है. इस सीट पर जीत की चाभी जाट और ओबीसी वोटर के पास है. आइये जानने की कोशिश करते हैं कि सोनीपत लोक सभा सीट पर इस बार कौन परचम फहरा सकता है.
जींद: हरियाणा की जाट लैंड सोनीपत लोकसभा सीट से इस बार बीजेपी हैट्रिक बनाने के प्रयास तथा कांग्रेस पिछली दो हारों का बदला लेने के लिए चुनावी मैदान में उतरेगी. सोनीपत सीट पर इस बार मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद है. अभी तक बीजेपी ने राई से विधायक मोहन लाल बड़ौली को अपना उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस उम्मीदवार की घोषणा अभी नहीं कर पाई है और ना ही जेजेपी या इनेलो ने उम्मीदवार उतारा है.
सोनीपत सीट पर जाट और ओबीसी निर्णायक
सोनीपत लोकसभा क्षेत्र कई मायने में बहुत अलग है. यहां से बड़े-बड़े दिग्गज केवल बाहरी कैंडिडेट होने के ठप्पे के कारण चुनाव हार चुके हैं. अगर यहां के वोट बैंक का समीकरण देखें तो इस लोकसभा क्षेत्र के कुल वोटों का एक तिहाई वोटर जाट समुदाय से आता है और इतना ही वोट पिछड़ा वर्ग श्रेणी का है. बाकी के वोटों में बनिया, ब्राह्मण, पंजाबी, सिख, मुस्लिम और अनुसूचित जाति के शामिल हैं. इस लोकसभा क्षेत्र से आज तक केवल तीन मौकों को छोड़कर हमेशा जाट समुदाय का सांसद बनता रहा है.
जाट के अलावा केवल ब्राह्मण सांसद
सोनीपत सीट पर तीन बार गैर जाट उम्मीदवार जीता और ये तीनों ब्राह्मण समाज के नेता रहे हैं. इनमें अरविंद शर्मा और दो बार रमेश चंद्र कौशिक शामिल हैं. अरविंद शर्मा यहां से निर्दलीय चुनाव जीत चुके हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. वहीं 2014 और 2019 में दो बार से लगातार रमेश चंद्र कौशिक बीजेपी से संसद बने. बीजेपी ने इस बार रमेश चंद्र कौशिक का टिकट काटकर फिर से ब्राह्मण चेहरे पर ही दांव खेला है. बीजेपी ने उनकी जगह राई से विधायक मोहन लाल बड़ौली को टिकट दिया है. मोहन लाल ब्राह्मण समुदाय से आते हैं.
सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में 9 विधानसभा शामिल हैं. इसमें सोनीपत जिले में सोनीपत, राई, गन्नौर, खरखौदा, बरौदा, गोहाना तो जींद जिले की सफीदों, जींद और जुलाना सीटें आती हैं. इस सीट पर करीब तीन चौथाई मतदाता ग्रामीण क्षेत्र के हैं. शहरी मतदाताओं की संख्या करीब एक चौथाई ही है. इस बार सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या बीजेपी इस सीट पर अपनी हैट्रिक दर्ज कर पाएगी या कांग्रेस जीत दर्ज कर पिछली दो हारों का बदला ले पाएगी.
सोनीपत से बजरंग पुनिया को उतारेगी कांग्रेस? कांग्रेस की तरफ से पिछला चुनाव 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने लड़ा था. भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर बाहरी उम्मीदवार होने का ठप्पा लग गया और वो चुनाव हार गए. इस बार कांग्रेस यहां से किसे मैदान में उतारेगी ये एक बड़ा सवाल है. यहां पर मुख्य रूप से कांग्रेस की ओर से बजरंग पुनिया का नाम चर्चा में है. बजरंग पुनिया अंतरराष्ट्रीय पहलवान हैं और जंतर-मंतर पर महिला पहलवानों के धरने में उनकी सक्रियता से उनका ग्राफ ऊपर उठा है. पुनिया जाट समुदाय से आते हैं.
बाहरी उम्मीदवार कभी नहीं जीता चुनाव
राजनीति के जानकार कहते हैं कि सोनीपत सीट पर जाट समुदाय पिछली दो हारों से मायूस महसूस करता है और इस बार वो अपनी इस जाट लैंड की सीट को किसी भी सूरत में वापस पाना चाहता है. कांग्रेस की ओर से सतपाल महाराज का नाम की भी चर्चा है. हिसार के सांसद रहे बृजेंद्र सिंह कमल छोड़कर हाथ का पंजा थाम लेने के बाद ये चर्चा शुरू हो गई है कि बृजेंद्र सिंह सोनीपत लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं. हलांकि बृजेंद्र सिंह सोनीपत के लिए बाहरी उम्मीदवार होंगे और इस सीट का इतिहास रहा है कि बाहरी उम्मीदवार यहां से चुनाव नहीं जीत पाया है.
मोदी के सहारे बीजेपी
बीजेपी नरेंद्र मोदी के नाम और मोदी की गारंटी के नारे के दम पर एक बार फिर यहां से जीत को लेकर आश्वस्त है, लेकिन कांग्रेस को किसान आंदोलन और महिला पहलवानों के सरकार के विरोध में किए गए आंदोलन का बड़ा सहारा है. कांग्रेस को ये लगता है कि सोनीपत के मतदाता इस बार भाजपा की हैट्रिक को रोककर कांग्रेस के साथ खड़े हो सकते हैं. दोनों दलों को अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए अपना पसीना बहाना होगा. जेजेपी भी इस सीट पर बीजेपी व कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित होने के बाद ही अपना उम्मीदवार तय करेगी.