सागर.सरकारें खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए किसानों को आधुनिक और उन्नत खेती अपनाने की सलाह देती हैं. अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी का परीक्षण करवाकर फसल की बुवाई की सलाह भी देती हैं लेकिन सरकार खुद इन मामलों में संजीदा नहीं है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि करीब 7 साल पहले पूरे मध्य प्रदेश में 265 विकासखंड में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की गई थी. बाकायदा प्रयोगशाला का भवन बनाया गया और उपकरण भी खरीदे गए लेकिन आज तक ये प्रयोगशालाएं शुरू नहीं हो सकीं और खंडहर में तब्दील होती जा रही हैं.
स्टाफ भर्ती करना ही भूल गई सरकार
दरअसल, सरकार ने मिट्टी परीक्षण के लिए प्रयोगशालाएं तो बना दी और उपकरण भी खरीद लिए लेकिन मिट्टी परीक्षण के लिए स्टाफ की भर्ती करना भूल गए. अब हालात ये हैं कि किसान मिट्टी परीक्षण के लिए जिला मुख्यालयों पर जाते हैं और उनके ब्लॉक मुख्यालय पर बनी मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रही हैं.
जैसीनगर में खंडहर में तब्दील प्रयोगशाला
जिले के जैसीनगर विकासखंड की बात करें तो यहां बनी मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला बंद पड़ी हुई है. ये प्रयोगशाला 36 लाख रुपए की लागत से बनी थी. प्रयोगशाला का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने 19 अप्रैल 2017 में किया था. प्रयोगशाला की निर्माण एजेंसी कृषि विपणन बोर्ड थी. अप्रैल 2017 में उद्घाटन के वक्त ऐलान किया गया था कि जल्द ही ये प्रयोगशाला काम करना शुरू कर देगी और किसानों को मिट्टी परीक्षण के लिए जिला मुख्यालय नहीं जाना होगा. लेकिन उद्घाटन के करीब 7 साल बाद भी प्रयोगशाला शुरू नहीं हो पा रही है.
40 किलोमीटर दूर जाते हैं किसान
प्रयोगशाला शुरू नहीं होने से किसानों को मिट्टी परीक्षण करने के लिए 40 किलोमीटर दूर सागर आना पड़ता है. हालात ये हैं कि भवन बंद पड़ा होने के कारण धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रहा है और एक तरह से बर्बाद हो गया है. बताया जा रहा है कि प्रयोगशाला के लिए उपकरण की भी खरीदी हो चुकी थी, वे उपकरण भी बंद हालत में पड़े हुए हैं.