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बूंदी में लापता बाघिन का मिला कंकाल, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का आरोप- वन्यजीवों के लिए नहीं माकूल इंतजाम

बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में गत बीस दिन से लापता बाघिन का कंकाल मिला है. उसका मंगलवार को विधिवत अंतिम संस्कार किया गया.

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 5 hours ago

Skeleton of Missing Tigress Found
बूंदी में लापता बाघिन का किया गया अंतिम संस्कार (Photo ETV Bharat Bundi)

बूंदी:रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व से मंगलवार को वन्य जीव प्रेमियों के लिए दुखद खबर सामने आई. रिजर्व के संरक्षित क्षेत्र से लापता बाघिन आरवीटी-2 का मंगलवार को कंकाल मिला. उसका 15 से 20 दिन तक कोई मूवमेंट नहीं मिल पा रहा था. रामगढ़ एवं जैतपुर रैंज के अधीन गठित ट्रेकिंग टीमें उसकी ट्रेकिंग कर रही थी. इधर, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने आरोप लगाया कि प्रदेश बाघ अभयारण्यों में वन्यजीवों के भोजन, पानी के लिए माकूल इंतजाम नहीं है, इस कारण बाघों की मौत हो रही है.

बूंदी में लापता बाघिन का किया गया अंतिम संस्कार (ETV Bharat Bundi)

रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के उपवन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक (कोर) संजीव शर्मा ने बताया कि गत 14 अक्टूबर को शाम 5 बजे देवरी माता एवं बांद्रापोल के मध्य नाले के ऊपरी हिस्से पर एक बाघिन का अवशेष (कंकाल) रेडियो कॉलर के साथ मिला था. ट्रेकिंग टीम ने इसकी सूचना दी थी. इसके बाद वे स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे.

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उन्‍होंने बताया कि मादा बाघिन आरवीटी-2 के समस्त अवशेष जैसे कैनाइन (दांत), नाखून, जबड़ा आदि पूर्ण रूप से मिले. कंकाल को बून्दी वन मंडल कार्यालय में लाया गया. यहां पशु चिकित्सकों की टीम ने बाघिन का पोस्टमार्टम किया. जिला पुलिस अधीक्षक की ओर से नियुक्त जांच दल (फोरेंसिक टीम) ने फिंगर प्रिंट आदि लिए. पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार किया गया.

रेडियो कॉलर हो गया था खराब:बताया जा रहा है कि बताया कि बाघिन के गले में लगा हुआ रेडियो कॉलर खराब था, जिसके चलते उसकी ट्रैकिंग नहीं हो पा रही थी. इससे वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारी की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

जूली ने की न्यायिक जांच की मांग: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने रामगढ़ विषधारी अभयारण्य की बाघिन आरवीटी -22 की विषम स्थितियों में हुई मृत्यु को दुःखद बताया. उन्होंने कहा कि बाघिन की मौत प्रदेश में दुर्लभ एवं संरक्षित वन्य जीवों की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न भी है. कारण है कि इस बाघिन के करीब तेरह माह के शावक की भी तीन माह पहले विषम स्थितियों में मृत्यु हो चुकी है, जबकि एक शावक अभी लापता है. बाघिन आरवीटी -22 की मृत्यु के कारणों की न्यायिक जांच होनी चाहिए, जिससे बाघिन की मृत्यु के सभी पहलू उजागर हो सके.

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