गया:पितृ पक्ष मेले में लाखों तीर्थ यात्री अपनेपितरों के पिंडदान के निमित्त गया धाम पहुंच रहे हैं. अब तक चार लाख से भी अधिक पिंडदानी गया जी आ चुके हैं. छठे दिन विष्णु पद मंदिर के 16 वेदियो में पिंडदान का विधान है. यहां पिंडदान का बड़ा ही महत्व है. मानता है कि यह पितरों को पिंडदान से उन्हें अक्षय लोक प्राप्ति हो जाती है.
पितरों का खुलता है मोक्ष का द्वार:यहां पिंडदान से पितरों को अक्षअक्षक की प्राप्ति हो जाती है. विष्णु पद के 16 वेदियो में कार्तिक पद, दक्षिणा अग्नि पद, गार्ह पत्यानी पद, आवहनोमग्निपद, संध्या अग्नि पद, आव संध्या अग्निपथ, सूर्य पद, चंद्र पद, गणेश पद, उधीचीपद, कण्वपद, मातंगपद, कौचपद, इंद्र पद, अगस्त्य पद और कश्यप पद हैं. इन पिंड वेदियों पर पिंडदानी छठे दिन पिंडदान करते है.
पिंड वेदियों में किया जाता है पिंडदान:विष्णुपद की 16 वेेदियो में पिंडदान का कर्मकांड किया जाता है. इसके बाद सभी 16 वेदियो में पिंंड चिपकाए जाते हैं. देवताओ ऋषि मुनि के नाम पर ये पिंड वेदी है. यहां पिंडदानी अपने पितरों के निमित्त किए गए पिंडदान के पिंड को स्तंभों को अर्पित करते हैं. यहां सभी वेदी स्तंभ के रूप में है, जिनका संबंध में कई पौराणिक कथाओं से हैं.
भगवान राम और भीष्म पितामह आए थे पिंडदान करने:पौराणिक कथा है कि भीष्म पितामह शांतनु का श्राद्ध करने गया जी आए थे तो उन्होंने विष्णु पद में अपने पितरों का आह्वान किया था. श्राद्ध पिंडदान का कर्मकांड किया था. इस दौरान शांतनु के हाथ निकले, लेकिन भीष्म पितामह ने शांतनु के हाथ पर पिंड न देकर विष्णुपद पर पिंडदान किया था. इससे शांतनु काफी प्रसन्न हुए थे और आशीर्वाद दिया था कि तुम में निश्चल एवं त्रिकाल में दृष्टा होंगे और अंत में विष्णु पद को प्राप्त होंगे. इसी तरह रूद्र पद पर भगवान श्री राम पिंडदान करने को आए थे.