सिवानः मॉनसून ने जोर पकड़ लिया है और भारी बारिश के बाद सिवान में गंडक नदी उफान पर है और गंडक नदी का ये उफान इस गांव की मुसीबत का सबब बन गया है, क्योंकि ये गांव आजादी के सात दशकों बाद बुनियादी सुविधाओं के अभाव का दंश झेल रहा है. इस गांव में न तो सड़क है और न ही गंडक नदी पर कोई पुल. ऐसे में गांव के लोगों के लिए बस एक सहारा है और वो है लकड़ी से बनी नाव.
घर-घर में है नावःसिवान के गुठनी प्रखंड के तीर बलुआ गांव के लोग सालों से विकास की राह देख रहे हैं. 21 वीं सदी की बातें तो इनके लिए बेमानी है, क्योंकि इनके आगे-पीछे, अगल-बगल, दाएं-बाएं सिर्फ पानी ही पानी है. ऐसे में इनके लिए नाव बड़ा सहारा है. गांव में करीब 180 परिवारों का बसेरा है और यहां करीब 150 नाव हैं, जिनके सहारे ये जिंदगी की मुसीबतों से दो-दो हाथ कर रहे हैं.
गांव में फूस के ही हैं अधिकतर घरः गांव में रहनेवाले लोगों का मुख्य व्यवसाय है नाव बनाना और मछली पकड़ना है. गांव में अधिकांश घर फूस से बने हैं. अफसोस की बात तो ये है कि गांव में एक भी शौचालय नहीं है. मतलब साफ है 21 वीं सदी की इस दुनिया में भी ये गांव पिछड़ेपन का बड़ा नमूना बना हुआ है.
विकास की राह देखता तीर बलुआ: गांव से सटा ही है दरौली विधानसभा क्षेत्र, जहां से पिछड़ों के नेता होने का दावा करनेवाले सत्यदेव राम विधायक हैं. बावजूद इसके इस गांव में सड़क,शौचालय,पीने का पानी तक नहीं पहुंच सका है.स्थानीय लोगों के मुताबिक कई बार विधायक और सरकारी कर्मचारी आये लेकिन आजतक 'विकास' नहीं आया.
बरसात में नाव पर ही कटते हैं दिन-रातः गंडक किनारे बसे इस गांव में मल्लाह समाज के लोगों की आबादी सबसे ज्यादा है. यहां रहनेवाले लोगों के लिए नाव ही आवाजाही का एकमात्र साधन है.बाजार जाना हो या डॉक्टर के पास नदी के पार ही जाना पड़ता है. बारिश और बाढ़ के मौसम में तो हालत ये हो जाती है कि लोग सामान और बच्चों को लेकर नाव पर ही चले जाते हैं और दिन-रात वहीं कटती है.