नई दिल्ली:दिल्ली के प्रगति मैदान में 10 फरवरी से 18 फरवरी तक विश्व पुस्तक मेले का आयोजन किया जा रहा है. रविवार को इस विश्व पुस्तक मेले का आखिरी दिन है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के त्रिभाषी सूत्र का प्रकाशन उद्योग पर सकारात्मक असर पड़ रहा है और भारत दुनिया के सबसे बड़े किताब बाजार के रूप में उभर रहा है. इसलिए दुनियाभर के प्रकाशकों की नजर भारत के बाजार पर है. इसका प्रमाण नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में देखा जा सकता है, जहां दुनियाभर के प्रकाशन उद्योग के निदेशक, सीईओ, पुस्तक मेलों के आयोजक और अन्य उच्च पदाधिकारी शिरकत कर रहे हैं. भारत के प्रकाशन उद्योग को एक रोल मॉडल के रूप में देख रहे हैं.
विश्व पुस्तक मेले में सिंगापुर एशिया पब्लिशर के प्रकाशक केल्विन यू ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि सिंगापुर में उनका पिछले 25 सालों से काफी पुराना प्रकाशन है और उनकी जो किताब है अलग हटके हैं. छोटे बच्चों के इंग्लिश स्पीकिंग मैथमेटिक्स को सीखने का अलग तरीका उनकी बुक्स के अंदर दिया गया है. उनकी किताब भारत की नई शिक्षा नीति के अंतर्गत आता है जिसमें किस तरह से बच्चे एजुकेशन में ग्रोथ कर सकते है इस पर जोर डाला गया है .
उन्होंने बताया कि उनकी पुस्तक में वैश्विक स्तर पर सिंगापुर की शिक्षण विधियों को बढ़ावा देने में शिक्षा मंत्रालय द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया है.जिसमें सरकार की सक्रिय पहल अन्य सहयोग और ज्ञान के आदान प्रधान की सुविधा प्रदान की है जिससे सिंगापुर शैक्षिक नवाचार में सबसे आगे है.भारतीय लेखक सुदेश वर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत करके बताया कि हमारा मकसद सिर्फ किताब बेचना नहीं है यहां पर हम अपने डिस्प्ले को दिखाते हैं. पूरे देश भर के लोग इस विश्व पुस्तक मेले में आ रहे हैं. काफी संख्या में पाठक भी पहुंच रहे हैं और सबसे ज्यादा छोटे-छोटे बच्चे भी इस विश्व पुस्तक मेले में पहुंच रहे हैं.