उत्तरकाशी: चारधाम यात्रा बंद होने के बाद गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में सन्नाटा पसर जाता है. ऐसे में अगर जनपद में तीर्थाटन के साथ पर्यटन को जोड़ा जाए, तो शीतकालीन चारधाम यात्रा परवान चढ़ सकती है. साल 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन यह योजना उम्मीद के अनुरूप परवान नहीं चढ़ सकी.
चारधाम यात्रा से जुड़े कारोबारियों और तीर्थपुरोहितों का कहना है कि तीर्थाटन के साथ पर्यटन को जोड़ने से यह योजना आगे बढ़ सकती है. अगर सरकार शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करती है, तो यहां स्थानीय लोगों को 12 माह रोजगार मिल सकता है. प्रदेश की आर्थिकी तीर्थाटन और पर्यटन पर टिकी हुई है. खासतौर पर यात्रा सीजन में चारधाम वाले जनपद उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग में श्रद्धालुओं की आमद से न केवल इन जनपदों बल्कि हरिद्वार, देहरादून और ऋषिकेश आदि बड़े शहरों के छोटे-बड़े कारोबारियों को लाभ मिलता है, लेकिन धामों में कपाटबंदी के साथ ही यात्रा पड़ावों पर सन्नाटा पसर जाता है, जबकि धामों के केवल कपाट बंद होते हैं. मां यमुना और गंगा के दर्शन बंद नहीं होते हैं.
इनके दर्शन श्रद्धालु शीतकालीन पड़ावों क्रमश: खरसाली और मुखबा में कर सकते हैं, लेकिन शीतकालीन चारधाम यात्रा का प्रचार-प्रसार नहीं होने से यह योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है. अगर सरकार शीतकालीन यात्रा चलाती है, तो स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सकता है. स्थानीय लोगों ने सरकार से शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करने की मांग की है.