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विश्वविद्यालयों में भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित होगा सिलेबस, आंसर शीट डिजिटली चेक करने की तैयारी - UTTARAKHAND UNIVERSITY SYLLABUS

उत्तराखंड में विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पाठ्यक्रम भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित होगा.

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विश्वविद्यालयों में भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित होगा सिलेबस (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 15 hours ago

देहरादूनः उत्तराखंड में विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध महाविद्यालय में समय पर परीक्षा परिणाम घोषित करने को लेकर एक अहम निर्णय लिया गया है. इसके तहत विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन डिजिटल माध्यम से कराए जाने की तैयारी है. इतना ही नहीं, विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यक्रम को भी जल्द शुरू किया जा रहा है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में शामिल किया जाएगा. इसके लिए प्रदेश में भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यक्रम को तैयार करने पर सहमति दे दी गई है. इसमें पाठ्यक्रम समितियों का गठन करते हुए अलग-अलग विषयों का करिकुलम तैयार किया जाएगा. उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत की अध्यक्षता में द्वितीय कुलपति गोलमेज सम्मेलन 2024 के दौरान यह फैसला लिया गया है.

दरअसल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कुछ महत्वपूर्ण बातों को जोड़ा गया था. जिसमें भारतीय ज्ञान परंपरा को विशेष महत्व दिया गया और उच्च शिक्षा में पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने पर जोर भी दिया गया. इसी को देखते हुए उत्तराखंड में पाठ्यक्रम समिति विभिन्न विषयों का करिकुलम तैयार करेगी और इसका परीक्षण करने के बाद इसे विभिन्न विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालय में लागू किया जाएगा.

उत्तराखंड के विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों में परीक्षा परिणाम को समय पर जारी किए जाने के लिए भी विशेष बल दिया गया है. इसके लिए राज्य में पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा जिसमें पहले चरण के रूप में किसी एक संकाय की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन डिजिटल माध्यम से होगा. यदि पहले चरण के तहत डिजिटल मूल्यांकन सफल पाया जाता है तो इसे पूरी तरह से अपनाते हुए विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए डिजिटलीकरण किया जाएगा.

गोलमेज सम्मेलन के दौरान निर्णय लिया गया है कि 5 साल पूरा करने वाले राजकीय महाविद्यालयों को सभी औपचारिकताएं पूरी करने पर स्थाई मान्यता दी जाएगी. जबकि निजी शिक्षण संस्थानों को सभी संसाधन उपलब्ध कराने की स्थिति में 3 साल में स्थाई मान्यता दे दी जाएगी. इसका विश्वविद्यालय द्वारा भौतिक परीक्षण भी समय-समय पर किया जाएगा.

विश्वविद्यालय में और बेहतर व्यवस्थाओं के लिए सम्मेलन के दौरान निर्णय लिया गया कि राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति अपनी टीम के साथ देश के दो-दो नामी विश्वविद्यालय का भ्रमण करेंगे. जबकि उच्च शिक्षा विभाग की पांच सदस्य उच्च स्तरीय समिति शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी दो देशों का शैक्षणिक भ्रमण करेगी. इसके अलावा भारत सरकार से स्वीकृत 7500 सीटों का भी जल्द आवंटन करने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए सभी महाविद्यालय प्रस्ताव भेजेंगे.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में कॉलेज के सभी छात्रों के बनेंगे आयुष्मान कार्ड और आभा आईडी, एनईपी क्रियान्वयन को लेकर बैठक

देहरादूनः उत्तराखंड में विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध महाविद्यालय में समय पर परीक्षा परिणाम घोषित करने को लेकर एक अहम निर्णय लिया गया है. इसके तहत विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन डिजिटल माध्यम से कराए जाने की तैयारी है. इतना ही नहीं, विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यक्रम को भी जल्द शुरू किया जा रहा है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यक्रम को विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में शामिल किया जाएगा. इसके लिए प्रदेश में भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यक्रम को तैयार करने पर सहमति दे दी गई है. इसमें पाठ्यक्रम समितियों का गठन करते हुए अलग-अलग विषयों का करिकुलम तैयार किया जाएगा. उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत की अध्यक्षता में द्वितीय कुलपति गोलमेज सम्मेलन 2024 के दौरान यह फैसला लिया गया है.

दरअसल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कुछ महत्वपूर्ण बातों को जोड़ा गया था. जिसमें भारतीय ज्ञान परंपरा को विशेष महत्व दिया गया और उच्च शिक्षा में पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने पर जोर भी दिया गया. इसी को देखते हुए उत्तराखंड में पाठ्यक्रम समिति विभिन्न विषयों का करिकुलम तैयार करेगी और इसका परीक्षण करने के बाद इसे विभिन्न विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालय में लागू किया जाएगा.

उत्तराखंड के विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों में परीक्षा परिणाम को समय पर जारी किए जाने के लिए भी विशेष बल दिया गया है. इसके लिए राज्य में पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा जिसमें पहले चरण के रूप में किसी एक संकाय की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन डिजिटल माध्यम से होगा. यदि पहले चरण के तहत डिजिटल मूल्यांकन सफल पाया जाता है तो इसे पूरी तरह से अपनाते हुए विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए डिजिटलीकरण किया जाएगा.

गोलमेज सम्मेलन के दौरान निर्णय लिया गया है कि 5 साल पूरा करने वाले राजकीय महाविद्यालयों को सभी औपचारिकताएं पूरी करने पर स्थाई मान्यता दी जाएगी. जबकि निजी शिक्षण संस्थानों को सभी संसाधन उपलब्ध कराने की स्थिति में 3 साल में स्थाई मान्यता दे दी जाएगी. इसका विश्वविद्यालय द्वारा भौतिक परीक्षण भी समय-समय पर किया जाएगा.

विश्वविद्यालय में और बेहतर व्यवस्थाओं के लिए सम्मेलन के दौरान निर्णय लिया गया कि राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति अपनी टीम के साथ देश के दो-दो नामी विश्वविद्यालय का भ्रमण करेंगे. जबकि उच्च शिक्षा विभाग की पांच सदस्य उच्च स्तरीय समिति शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी दो देशों का शैक्षणिक भ्रमण करेगी. इसके अलावा भारत सरकार से स्वीकृत 7500 सीटों का भी जल्द आवंटन करने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए सभी महाविद्यालय प्रस्ताव भेजेंगे.

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