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ब्रिटिश हुकूमत की बर्बरता का गवाह है ये वट वृक्ष, 100 से ज्यादा क्रांतिकारियों को इससे लटकाकर दी गई थी फांसी - Sikri martyrdom War of 1857

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 14, 2024, 6:05 AM IST

Updated : Aug 14, 2024, 11:39 AM IST

Independence Day 2024: अंग्रेजों से देश को आजाद कराने की पहली चिंगारी साल 10 मई 1857 को मेरठ से फूटी थी. उस समय अंग्रेजों ने अपनी क्रूरता दिखाते हुए विद्रोह करने वाले लोगों को सरेआम पेड़ पर लटकाकर फांसी दे दी थी. आज हम आपको ऐसे ही पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं, जिस पर अंग्रेजों ने सरेआम क्रांतिकारियों को फंदे पर लटका दिया था.

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नई दिल्ली/गाजियाबाद:मोदीनगर क्षेत्र में स्थित सिकरी खुर्द गांव आजादी के आंदोलन का गवाह रहा है. सीकरी खुर्द गांव के लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लिया था. 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों ने इसी गांव के 131 लोगों को फासी पर चढ़ाया था. मौजूदा समय में सीकरी खुर्द गांव में महामाया देवी मंदिर है, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है. सीकरी खुर्द गांव को क्रांतिकारी की भूमि भी कहा जाता है. महामाया देवी मंदिर में बरगद के पेड़ पर क्रांतिकारियों को फांसी पर चढ़ाया गया था. मौजूदा समय में बरगद का पेड़ मंदिर में मौजूद है.

ब्रिटिश हुकूमत की बर्बरता का गवाह है Delhi NCR का ये गांव (ETV Bharat)

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा ने बताया कि 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ शुरू हुई जंग में मेरठ से दिल्ली की ओर निकले स्वतंत्रता सेनानी सीरकी खुर्द पहुंचे तो वहां पर उनका भव्य स्वागत किया गया. इतना ही नहीं सैनानियों के जज्बे को देखते हुए सीकरी खुर्द के सैकड़ों लोग इस टोली में शामिल हो गए. गांव में उठी इस क्रांति को एक जगह की आवश्यकता थी तो उन सभी ने गांव के बीच में स्थित एक किलेनुमा हवेली को अपना ठिकाना बना लिया.

क्रांतिकारियों ने पुलिस चौकी में आग लगा दीःप्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा बताते हैं कि सिकरी खुर्द गांव का 1857 की क्रांति में बहुत बड़ा योगदान था. अंग्रेज इस बात को बखूबी समझते थे कि सीकरी खुर्द गांव ने आंदोलन में बड़े स्तर पर सहभागिता की है. अंग्रेज सिकरी खुर्द गांव को इसका दंड भी देना चाहते थे. मोदीनगर का नाम उस समय बेगमाबाद हुआ करता था. गांव में पुलिस थाना भी था. सीकरी खुर्द समेत आसपास के गांव के क्रांतिकारियों ने पुलिस चौकी में आग लगा दी. पुलिस चौकियां उस समय अंग्रेजों के शोषण का प्रतीक थी.

करीब 500 साल पुराना है ये मंदिर (ETV Bharat)

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अंग्रेजों ने तोप से गांव पर किया था हमलाःशर्मा बताते हैं कि जब मेरठ के कलेक्टर को जब इस बात का पता चला कि क्रांतिकारियों ने पुलिस चौकी में आग लगा दी है तो अंग्रेजों ने एक अलग से खाकी रिसाला नाम से सेना बनाई. अंग्रेजों द्वारा खाकी रिसाला बनाने के पीछे उन तमाम क्रांतिकारियों को दंडित करना था. जिन्होंने 1857 की क्रांति में भाग लिया था. मेरठ के कलेक्टर डनलप के नेतृत्व में अंग्रेजी सेना आती है.

डनलप ने अपनी किताब में भी लिखा है कि जब वह मेरठ से बेगमाबाद जा रहे थे तो रास्ते में पुलिस चौकी जली थी. डनलप सीकरी गांव की तरफ जाते हैं. गांव के बीचो-बीच एक हवेली थी, जहां गांववासी अंग्रेजों के सामने डटकर खड़े हो गए थे, लेकिन अंग्रेज अपने साथ 5 तोप लेकर आए थे और तोप से गांव पर हमला कर दिया था.

मंदिर के वट वृक्ष पर दी गई थी 131 लोगों को फांसीःअंग्रेजों से लड़ते हुए जब सीकरी खुर्द के क्रांतिकारी कमजोर पड़ने लगे तो वह गांव के बाहर बने महामाया देवी मंदिर में बने तहखाने में जा छुपे. इसके बाद अंग्रेज कलेक्टर डनलप यहां पहुंचा और गांव वालों को तहखाने से ढूंढ़कर बाहर निकाला. बताया जाता है कि क्रांतिकारियों को बाहर निकालने के बाद अंग्रेज कलेक्टर ने उन्हें मौत के घाट उतारने का फरमान सुना दिया. कलेक्टर के आदेश पर यहां मौजूद करीब 131 लोगों को मंदिर परिसर में लगे पेड़ पर फांसी पर लटका दिया.

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Last Updated : Aug 14, 2024, 11:39 AM IST

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