नई दिल्ली/गाजियाबाद:मोदीनगर क्षेत्र में स्थित सिकरी खुर्द गांव आजादी के आंदोलन का गवाह रहा है. सीकरी खुर्द गांव के लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लिया था. 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों ने इसी गांव के 131 लोगों को फासी पर चढ़ाया था. मौजूदा समय में सीकरी खुर्द गांव में महामाया देवी मंदिर है, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है. सीकरी खुर्द गांव को क्रांतिकारी की भूमि भी कहा जाता है. महामाया देवी मंदिर में बरगद के पेड़ पर क्रांतिकारियों को फांसी पर चढ़ाया गया था. मौजूदा समय में बरगद का पेड़ मंदिर में मौजूद है.
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा ने बताया कि 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ शुरू हुई जंग में मेरठ से दिल्ली की ओर निकले स्वतंत्रता सेनानी सीरकी खुर्द पहुंचे तो वहां पर उनका भव्य स्वागत किया गया. इतना ही नहीं सैनानियों के जज्बे को देखते हुए सीकरी खुर्द के सैकड़ों लोग इस टोली में शामिल हो गए. गांव में उठी इस क्रांति को एक जगह की आवश्यकता थी तो उन सभी ने गांव के बीच में स्थित एक किलेनुमा हवेली को अपना ठिकाना बना लिया.
क्रांतिकारियों ने पुलिस चौकी में आग लगा दीःप्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा बताते हैं कि सिकरी खुर्द गांव का 1857 की क्रांति में बहुत बड़ा योगदान था. अंग्रेज इस बात को बखूबी समझते थे कि सीकरी खुर्द गांव ने आंदोलन में बड़े स्तर पर सहभागिता की है. अंग्रेज सिकरी खुर्द गांव को इसका दंड भी देना चाहते थे. मोदीनगर का नाम उस समय बेगमाबाद हुआ करता था. गांव में पुलिस थाना भी था. सीकरी खुर्द समेत आसपास के गांव के क्रांतिकारियों ने पुलिस चौकी में आग लगा दी. पुलिस चौकियां उस समय अंग्रेजों के शोषण का प्रतीक थी.