सीकर. राजस्थान का सीकर संसदीय क्षेत्र देश की चर्चित सीटों में से एक है. किसानों व जवानों के इलाके में यहां तापमान 50 डिग्री के पास पहुंच जाता है. राजस्थान की राजनीति की दशा और दिशा तय करने वाले सीकर जिले का राजनीतिक पारा भी चढ़ा हुआ है. सीकर लोकसभा के इतिहास में पहली बार कांग्रेस का उम्मीदवार नहीं होने के कारण इंडिया गठबंधन के साथ ही भाजपा की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है.
भाजपा को प्रधानमंत्री मोदी के दम पर पिछली तीन बार से बढ़ रहे वोट शेयर के दम पर जीत का भरोसा है तो वहीं गठबंधन के कारण कांग्रेस-माकपा के वोट गणित पर भरोसा है. सीकर संसदीय क्षेत्र में पिछले तीन चुनाव से भाजपा का वोट बैंक बढ़ा है. पार्टी को 2009 के चुनाव में 24.18 प्रतिशत वोट मिले. 2014 के चुनाव में 46.86 प्रतिशत व 2019 के लोकसभा चुनाव में 58.19 प्रतिशत वोट मिले.
यही कारण है कि सुमेधानंद सरस्वती को विकास के कार्य व मोदी की गारंटी पर हैट्रिक की उम्मीद है. वहीं, बात करें इंडिया गठबंधन की तो कांग्रेस व माकपा के वोट साथ होने से वोट बैंक में बढ़ोतरी जीत का आधार है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के गृह जिले में गठबंधन की जीत से डोटासरा का कद राजस्थान की राजनीति में बढ़ सकता है. डोटासरा राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत व सचिन पायलट के बाद कांग्रेस में तीसरी शक्ति के रूप में उभर रहे हैं.