देहरादून:उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल इलाके में एक प्राचीन सिद्धपीठ 'धारी देवी' मंदिर है. जिसे 'दक्षिणी काली माता' के रूप में भी पूजा जाता है. मान्यता है कि मां धारी देवी उत्तराखंड में चारों धाम की रक्षा करती हैं. कहा जाता है कि रोजाना मां धारी देवी दिन में तीन रूप बदलती हैं, जिसके तहत सुबह कन्या, दोपहर में युवती और शाम को वृद्धा का रूप धारण कर दर्शन देती हैं. जिस वजह से धारी देवी के प्रति आस्था रखने वाले श्रद्धालु काफी संख्या में दर्शनों के लिए पहुंचते हैं.
द्वापर कालीन धार गांव के चलते मंदिर का नाम पड़ा धारी देवी: गढ़वाल का केंद्र माने जाने वाले श्रीनगर से 14 किलोमीटर आगे अलकनंदा नदी के बीचों-बीच धारी देवी का मंदिर मौजूद है. जिसे मां धारी देवी शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है. धारी देवी मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित लक्ष्मी प्रसाद पांडे बताते हैं कि मां धारी देवी का नाम पास में मौजूद द्वापर कालीन धार गांव की वजह से पड़ा, लेकिन शास्त्रों में इसका नाम दक्षिण काली मां कल्याणी के नाम से अंकित है.
पंडित लक्ष्मी प्रसाद बताते हैं कि गुप्तकाशी से नजदीक मौजूद कालीमठ के कालीशिला में मां काली देवी का अवतार हुआ. कालीमठ में असुरों का वध करते हुए जब वे नीचे श्रीनगर क्षेत्र की ओर आए तो इसी जगह पर भगवान भोलेनाथ ने मां काली के रौद्र रूप को शांत किया था. इसी वजह से शास्त्रों में मां कल्याणी के नाम से उन्हें जाना जाता है. इसके अलावा ये कहा जाता है कि करीब ढाई हजार साल पहले जब आदिगुरु शंकराचार्य यहां से हिमालय की ओर गुजरे थे तो इसी जगह पर एक सूरजकुंड हुआ करता था.
जिसमें सुबह से लेकर शाम तक सूर्य भगवान के दर्शन होते थे. उस समय शंकराचार्य केवल शिव के उपासक थे और शक्ति पर उनका इतना विश्वास नहीं था, लेकिन इसी जगह पर मां शक्ति ने उन्हें संध्या काल में वृद्धा स्वरूप में जलपान कराया. उसके बाद आदि गुरु स्वस्थ होकर अपनी यात्रा पर आगे बढ़ पाए. इसके बाद आदि गुरु शंकराचार्य महादेवी के उपासक हो गए. उन्होंने तमाम स्त्रोत लिखे. जो इस मंदिर में सुबह-शाम आरती के दौरान गाए जाते हैं.
दिन के तीन पहर में तीन रूपों में दर्शन देती हैं मां धारी देवी: मां शक्ति की सिद्धपीठ धारी देवी अपने चमत्कारी स्वरूप के लिए श्रद्धालुओं में प्रसिद्ध है. ऐसा कहा जाता है कि दिन के तीनों पहहर में मां धारी देवी अपने श्रद्धालुओं को तीन अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन देती हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित लक्ष्मी प्रसाद पांडे ने बताया कि मां धारी देवी की आरती के दौरान भी यह श्लोक आता है, जिसमें मां के तीन स्वरूपों का वर्णन होता है.