शहडोल।मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के इस रण में पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को होना है. पहले चरण में मध्य प्रदेश के जिन सीटों पर चुनाव होने हैं, उसमें विंध्य की दो लोकसभा सीट भी आती है. जिसमें शहडोल लोकसभा सीट और सीधी लोकसभा सीट शामिल है. शहडोल लोकसभा सीट आदिवासी बाहुल्य सीट है और यहां पर आदिवासी वोटर को लुभाने के लिए अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए बड़े-बड़े दिग्गजों ने प्रचार प्रसार किया, लेकिन इस बार चुनाव को लेकर पहले जैसा माहौल बिल्कुल भी देखने को नहीं मिला.
जब शहडोल में गरजे राहुल-नड्डा
शहडोल लोकसभा सीट आदिवासी बहुल सीट है. यहां पर कोई भी पार्टी प्रचार-प्रसार में किसी भी तरह का कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही थी. इसीलिए भारतीय जनता पार्टी की ओर से अपने प्रत्याशी के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शहडोल जिला मुख्यालय के मुख्य चौराहे में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया. तो वहीं उसके एक-दो दिन बाद ही कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी ने शहडोल जिला मुख्यालय में ही बाणगंगा मेला मैदान में चुनावी जनसभा को संबोधित किया. बीजेपी की ओर से शहडोल लोकसभा सीट में मुख्यमंत्री मोहन यादव भी शामिल हुए. प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शहडोल लोकसभा सीट के उमरिया और अनूपपुर जिले में भी सभाएं की हैं. वहीं कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी के अलावा जीतू पटवारी ने भी शहडोल लोकसभा सीट में अलग-अलग जगह पर चुनावी सभाएं की और अपने प्रत्याशी के पक्ष में वोट मांगे हैं.
शहडोल में कौन आमने- सामने ?
इस लोकसभा सीट में बीजेपी ने वर्तमान सांसद हिमाद्री सिंह को ही अपना प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं कांग्रेस ने वर्तमान विधायक फुन्देलाल मार्को को चुनावी मैदान पर उतार दिया है. कांग्रेस ने अपने उस नेता को टिकट दिया है. जो पिछले तीन बार से लगातार पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज करते आ रहे हैं और विधायक बन रहे हैं. दोनों ही नेताओं के बीच इस बार एक कड़ी चुनौती देखी जा रही है.
मोदी की गारंटी Vs निष्क्रियता पर भरोसा
देखा जाए तो शहडोल लोकसभा सीट में इस बार सन्नाटा पसरा हुआ है. जिससे भी पूछिए उसका यही कहना है कि इस बार चुनाव जैसा माहौल तो लग ही नहीं रहा है. सांसदी बरकरार रखने मैदान में उतरी भाजपा की हिमाद्री सिंह और पहली बार संसदीय चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के तीन बार के विधायक फुन्देलाल सिंह मार्को का प्रचार और जनसंपर्क अभियान अपने-अपने तरीके से ही चला. शहर से लेकर गांव तक प्रचार-प्रसार की सरगर्मी नहीं दिखी. हिमाद्री को मोदी लहर और गारंटी के सहारे चुनावी नैया पार लग जाने की पूरी उम्मीद है. वहीं फुन्देलाल सिंह मार्को को उम्मीद है कि निष्क्रियता का मुद्दा जनता के बीच असर कर जाएगा. आलम तो यह रहा कि शहडोल लोकसभा सीट के संभागीय मुख्यालय में ही दोनों ही पार्टियों के किसी एक भी पार्टी के प्रत्याशी का चुनावी पोस्टर नजर नहीं आए. इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि इस बार किस तरह से शांति के साथ चुनाव प्रचार चल रहा है.