गोरखपुर : गुजरात में परिवार के साथ रहा 11 साल का एक बच्चा 3 साल से अपने दादा-दादी से नहीं मिल पाया था. उसे उनकी याद सता रही थी. उसने एक बैग में कपड़े रखे और साइकिल लेकर गोरखपुर के लिए निकल पड़ा. वह जानता था कि इस लंबे सफर में उसे करीब 1564 किमी तक साइकिल चलानी पड़ेगी. इसके बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी. उसे डर था इसके बारे में उसके माता-पिता को जानकारी हुई तो वे उसे जाने नहीं देंगे. लिहाजा उसने किसी को कुछ नहीं बताया. रास्ते में एक वाहन की टक्कर से वह घायल हो गया. इस बीच एक ट्रक चालक फरिश्ता बनकर सामने आया. 38 दिनों तक अपने साथ रखकर बच्चे का इलाज कराया. इसके वह उसे लखनऊ लाकर गोरखपुर की बस में बैठा दिया. 40 दिन बाद बच्चा अपने दादा-दादी से मिल पाया.
शुभ निषाद ने बताया कि गोरखपुर के सूर्यकुंड इलाके में उसके दादा-दादी रहते हैं. उसके पिता सुरेश निषाद मां और अन्य भाई-बहनों के साथ करीब 12 साल से गुजरात के भरूच में रहते हैं. वह वहां एक फूड कंपनी में काम करते हैं. करीब 3 साल से उसके माता-पिता गोरखपुर नहीं आए थे. इससे वह अपने दादा-दादी से नहीं मिल पा रहा था. दोनों शुभ को बहुत प्यार करते हैं. उसे उनकी याद सता रही थी.
15 जून की सुबह निकला था गुजरात से :गुजरात से 15 जून की सुबह 5 बजे शुभ बिना माता-पिता को कुछ बताए साइकिल से गोरखपुर के लिए निकल पड़ा. उसने अपने स्कूल बैग में साथ ले रखा था. उसमें उसने कुछ कपड़े रखे थे. रास्ते में अंकलेश्वर में किसी ट्रक ने उसकी साइकिल में टक्कर मार दी. इससे उसके दाएं पैर में घुटने के नीचे चोट लग गई. वह बेहोश होकर सड़क के किनारे पड़ा था. हादसे में उसकी साइकिल भी टूट गई. इसी बीच एक दूसरे ट्रक चालक राजस्थान के रहने वाले जगदीश वाहन लेकर वहां से गुजर रहे थे.