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श्राद्ध पक्ष विशेष: 156 अस्थियों को अपनों का इंतजार, गंगा में प्रवाहित करना तो दूर, घर तक नहीं ले जा रहे - Pitru Paksha 2024

बाड़मेर में सार्वजनिक श्मशान घाट में सैकड़ों की संख्या में लॉकर में बंद अस्थियां अपनों की राह देख रही हैं. लेकिन उनके अपने उन्हें लेने नहीं आ रहे हैं.

156 ashes are waiting for their loved ones
156 अस्थियों को अपनों का इंतजार (ETV Bharat Barmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 22, 2024, 3:55 PM IST

Updated : Sep 22, 2024, 8:55 PM IST

बाड़मेर:श्राद्ध पक्ष में जहां एक तरफ लोग अपने दिंवगतों की आत्मा की शांति को लेकर दान-पुण्य कर श्राद्ध मना रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर जिले के सार्वजनिक श्मशान घाट में सैकड़ों की संख्या में लॉकर में बंद अस्थियां अपनों की राह देख रही है. लेकिन उनके अपने है कि शमशान घाट की ओर मुड़कर भी नहीं देख रहे हैं. जिसके चलते सार्वजनिक शमशान घाट में तमाम अलमारियों के लॉकर अस्थियों से पूरी तरह से भर चुके हैं. अब हालात ये हैं कि अस्थियां रखने तक की जगह नहीं बची है.

156 अस्थियों को आज भी अपनों का इंतजार, नहीं आ रहे परिजन (ETV Bharat Barmer)

अलमारियों के लॉकर फूल:सार्वजनिक श्मशान घाट विकास समिति के संयोजक भैरू सिंह फुलवरिया ने बताया कि श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के बाद लोग अस्थियां लॉकर में रखकर ताला लगाकर चाबी अपने साथ ले जाते हैं. श्मशान घाट के शिव मंदिर में अस्थियां रखने के लिए लगाई गई तमाम अलमारी के लॉकर भर चुके हैं. हालात यह है कि अब अस्थियां रखने तक की जगह नहीं बची है.

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156 अस्थियों को अपनों का इंतजार: उन्होंने बताया कि पिछले लंबे समय से 156 अस्थियां लॉकर में बंद पड़ी हैं. उनके परिजनों को अस्थियां ले जाने का निवेदन किया गया है, लेकिन वे लोग नहीं आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि श्मशान घाट के शिव मंदिर में अस्थियां रखने के लिए बड़ी संख्या लॉकर वाली अलमारियां रखी गई है जो कि सब भर गई है. अब नई अस्थियां रखने के लिए जगह नहीं बची है.

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विकास समिति की अपील:फुलवरिया ने उन्होंने कहा कि श्राद्ध की बारस तिथि के बाद सार्वजनिक श्मशान घाट विकास समिति की इन लॉकरों के ताले खोलकर हेल्पिंग ग्रुप बीकानेर के सहयोग से इन अस्थियों का ससम्मान हरिद्वार में गंगा नदी में विसर्जित किया जाएगा. आमजन से अपील करते हुए कहा कि समय रहते हुए यहां से लॉकर खोलकर अपनों अस्थियों को सम्मान के साथ ले जाएं और अपनी परंपराअनुसार विसर्जन करे.

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गंगा में प्रवाहित करना तो दूर, घर तक नहीं ले जा रहे: सनातन धर्म में माना जाता है कि तर्पण और श्रद्धा करने से पितृ खुश होकर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. ऐसे में श्राद्ध पक्ष में लोग बड़े चाव से पितृरों की आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य करते हैं. लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो श्मशान घाट से अपनों की अस्थियों ले जाकर हरिद्वार गंगा में प्रवाहित करना तो दूर बार बार कहने के बावजूद इसके अपने घर तक नहीं ले जा रहे हैं.

Last Updated : Sep 22, 2024, 8:55 PM IST

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