देहरादून: अल्मोड़ा बस हादसे जैसी घटनाएं अक्सर परिवहन विभाग के कमजोर इन्फोर्समेंट को चर्चाओं में ला देती है, लेकिन हकीकत ये भी है कि परिवहन विभाग कर्मियों की कमी के कारण लाचार स्थिति में है. यहां ना तो फील्ड में काम करने वाले पर्याप्त परिवहन सिपाही मौजूद हैं और ना ही मौजूदा जरूरत के लिहाज से चालक हैं.उत्तराखंड में अक्सर बड़ी सड़क दुर्घटनाएं परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली को सवालों में ला देती है.
परिवहन विभाग पर उठते रहे हैं सवाल: यहां पिछले कुछ महीने सड़क हादसों के लिहाज से बेहद खराब रहे हैं.अल्मोड़ा के सल्ट में हुए बस हादसे के कारण तो परिवहन विभाग के अधिकारियों को निलंबित तक होना पड़ा है. लेकिन एक हकीकत यह भी है कि परिवहन विभाग राज्य भर में वाहनों के इंफोर्समेंट के लिए तैयार ही नहीं है.विभाग के पास कर्मचारियों की भारी कमी है, जिससे कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है. उत्तराखंड संभागीय परिवहन विभाग में कर्मियों की मौजूदगी का आंकड़ा देखा जाए तो यह काफी चौंकाने वाला है. फील्ड स्तर पर देखा जाए तो एनफोर्समेंट के लिए सिपाही का पद बेहद अहम होता है.
विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी: लेकिन आंकड़े यह जाहिर करते हैं कि फील्ड पर काम करने वाले सिपाही परिवहन विभाग के पास पर्याप्त संख्या में मौजूद ही नहीं हैं. परिवहन विभाग में सिपाही के 215 पद स्वीकृत हैं, इसमें से केवल 65 पदों पर ही रेगुलर सिपाही की तैनाती की जा सकी है. हालांकि इस कमी को देखते हुए 110 पदों पर सिपाही की भर्ती करने की कोशिश की गई थी और इसके लिए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को अधियाचन भी भेज दिया गया था. खास बात यह है कि आयोग ने भी काफी तेजी से इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाया और प्रक्रिया को पूरा करते हुए रिजल्ट भी घोषित कर दिए गए.