फिरोजाबाद :गोसेवा करते हुए फिरोजाबाद की शिल्पी जैन ने एक ऐसा उद्यम स्थापित कर लिया, जो न सिर्फ उन्हें बल्कि दूसरी महिलाओं को भी स्वावलंबी बना रहा है. शिल्पी गाय के गोबर से ऐसे तमाम आइटम बनाती हैं, जिनकी त्यौहारों में खास डिमांड रहती है. करीब 8 साल पहले शुरू हुए उनके कारोबार ने अब फैलाव ले लिया है. उनकी वर्कशॉप में तैयार आइटम्स की मांग यूपी से बाहर भी कई स्टेट में है. गोबर से तैयार इन आइटम को लोग काफी पसंद कर रहे हैं, और यही कारण है कि कभी छोटे पैमाने पर शुरू इस कारोबार से लाखों की आमदनी हर साल हो रही है.
यूपी की बिजनेस माइंडेड दीदी की कहानी. (Video Credit; ETV Bharat) पति का मिला साथ और शुरू किया कारोबार:शिल्पी बताती हैं कि करीब 8 साल पहले 2016 में पति अरिहंत जैन के साथ उन्होंने गाय के गोबर से बने उत्पादों को बनाने का काम शुरू किया था. लोहिया नगर, जलेसर रोड की रहने वाली शिल्पी ने घर में ही अपने कारोबार की नींव रखी. पति-पत्नी दोनों गोसेवा करते हैं, इसलिए गाय के गोबर से उत्पाद बनाने का विचार भी यहीं से आया.
गुजरात-महाराष्ट्र तक उत्पादों की डिमांड :शिल्पी जैन ने कभी यह कारोबार अकेले ही शुरू किया था. लक्ष्य त्यौहारों पर पूजन से जुड़े उत्पाद बनाने का था. पहले ही साल अच्छा रिस्पांस मिला, फिर तो नए आइडिया मिलने लगे. शिल्पी बताती हैं कि उनके यहां गाय के गोबर से तैयार उत्पादों की डिमांड दक्षिण के राज्यों, गुजरात, महारष्ट्र में भी काफी है. लोग इन उत्पादों को इसलिए भी काफी पसंद करते हैं, क्योंकि इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता और घर में भी सकारात्मक ऊर्जा आती है. दूसरी तरफ गाय के गोबर को काफी पवित्र माना जाता है, ऐसे में दिवाली व अन्य पर्वों पर जब ये उत्पाद बाजार में दिखते हैं तो लोग इन्हें प्राथमिकता देते हैं.
हर साल 50 लाख तक की इनकम:शिल्पी अपने कारोबार को गोसेवा से जोड़कर देखती हैं. वे शुरू से ही गाय की सेवा करती आई हैं. अब उसी के जरिए इनकम भी साल दर साल बढ़ रही है. कभी बेहद छोटे पैमाने पर शुरू हुए उनके काम ने अब विस्तार ले लिया है. सालाना कमाई की बात करें तो यह करीब 50 लाख रुपये तक होती है. शिल्पी की वर्कशॉप में गाय के गोबर से तैयार उत्पादों की डिमांड अब सिर्फ त्यौहारों तक सीमित नहीं है. पूरे साल इनकी खरीदारी होती है, हालांकि दीप पर्व में इनकी मांग कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है.
गाय के गोबर से क्या-क्या है बनता:शिल्पी कहती हैं कि उनकी वर्कशॉप में लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, दीये के साथ ही घर के सजावटी सामान तैयार होते हैं. सभी में स्वच्छता का ख्याल रखा जाता है. इन उत्पादों को घर में रखने से नकारात्मकता दूर रहती है. इसके साथ ही पर्यावरण के लिए भी ये उत्पाद फायदेमंद हैं. इनसे किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता. शिल्पी के मुताबिक, आज उनके कारोबार से 10 से 12 महिलाएं जुड़ी हैं. उत्पादों की बिक्री से होने वाली आय से उनको गोसेवा का कार्य बढ़ाने में तो मदद मिलती ही है, दूसरी महिलाओं के लिए भी रोजगार का सृजन होता है.
चाइनीज आइटम के बीच बनाई जगह :दीप पर्व की शुरुआत धनतेरस से हो जाएगी, इसी के साथ लोग घर को सजाने-संवारने में भी जुटे हैं. इसके लिए सजावटी सामान की जमकर खरीदारी की जा रही है. बाजार में चाइनीज झालरों के साथ ही प्लास्टिक के तमाम सजावटी सामान पड़े हैं. इन सबके बीच शिल्पी के उत्पादों ने अपनी जगह बनाई है. उनके उत्पाद अपने देसीपन से लोगों को अपनी ओर खींच रहे हैं. घर को रोशन करने के लिए गाय के गोबर से बने दीयों की बेहद डिमांड है. वहीं सजावट के अन्य आइटम्स भी काफी पसंद किए जा रहे हैं. यही कारण है कि शिल्पी के बनाए उत्पाद यूपी से बाहर भी अपनी पैठ बना चुके हैं. शिल्पी कहती हैं, इससे गोशालाएं आत्मनिर्भर होतीं हैं और गोमाता की रक्षा होती है. किसी से गोशाला के लिए दान मांगने की जरूरत नहीं पड़ती है. साथ ही इस काम मे लगीं महिलाओं को भी रोजगार मिलता है.
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