श्योपुर: कराहल आदिवासी विकासखंड के सुखाखार गांव में रहने वाले लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. गांव में ना सड़क है, ना नाला है. नालियों का गंदा पानी बस्ती के बीचो-बीच भरा हुआ है. जिसकी वजह से वहां कीचड़ हो गया है. निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा है. इससे रहवासी परेशान है, लोग कीचड़ से निकलने को मजबूर है. वहीं एक महिला ने कीचड़ वाले रास्ते से दंडवत भरते हुए पनवाड़े वाली माता के मंदिर पहुंची. जहां महिला ने सरपंच और सचिव की सद्बुद्धि के लिए मंदिर में माथा टेका.
दंडवत भर महिला ने जताया विरोध
कराहल के सुखाखार गांव में कीचड़युक्त रास्ता से स्थानीय लोग परेशान है. बस्ती की एक आदिवासी महिला जो अन्नपूर्णा देवी में अपनी बहुत आस्था रखती है. वह सरपंच व सचिव का विकास कार्य और सड़क नाले को लेकर ध्यान आकर्षित करने के लिए कीचड़ में दंडवत करते हुए पनवाड़ा माता मंदिर के लिए निकली. इस दौरान महिला बस्ती में कीचड़ भरे रास्तों से गुजरी. दंडवत भरने के दौरान वह गंदगी में पूरी तरह लिपट गई. उसके सारे कपड़े कीचड़ से खराब भी हो गए.
गांव में असुविधाओं का आलम
यह नजारा देख लोग आश्चर्यचकित भी हुए, लेकिन महिला का कहना था कि "कई बार शिकायत करने के बाद भी सुनवाई नहीं हुई. इसलिए उसको यह तरीका अपनाना पड़ा, ताकि सब लोगों को पता लगे कि किस तरीके से बस्ती में असुविधाओं का आलम बना हुआ है." महिला ने सचिव अतर सिंह पर पंचायत में कोई कार्य ना करने का आरोप लगाया है. उसने कहा कि गांव में किसी प्रकार की योजनाओं का लाभ प्राप्त होता है.