मैहर।नवरात्र के पहले दिन ही मैहर की छठा बिल्कुल निराली दिखी. मां शारदा मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्तों की संख्या को देखते हुए जिला और पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है. चप्पे-चप्पे पर कड़ी निगरानी की जा रही है. इसके साथ ही जिला प्रशासन ने भक्तों की सुविधा के लिए अनेक इंतजाम किए हैं.
600 मीटर ऊंचाई, पहाड़ी पर मां का मंदिर
मैहर जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर त्रिकूट पर्वत पर माता शारदा देवी का वास है. मां शारदा देवी का मंदिर पर्वत की चोटी के मध्य में है. देशभर में माता शारदा का अकेला मंदिर मैहर में है. इसी पर्वत की चोटी पर माता के साथ ही श्री काल भैरवी, हनुमान जी, देवी काली, दुर्गा, श्री गौरी शंकर, शेष नाग, फूलमती माता, ब्रह्मदेव और जलापा देवी की भी पूजा की जाती है. मां शारदा के मंदिर मे देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में भक्त आते हैं. यहां पहाड़ी पर 600 मीटर की उंचाई पर मां शारदा का भव्य मंदिर है. मंदिर तक जाने के लिये 1080 सीढ़ियां हैं. साथ ही रोपवे से 170 रुपए की टिकट लेकर आने-जाने की सुविधा उपलब्ध है.
मां शारदा की प्रथम पूजा करते हैं आल्हा
मां शारदा मंदिर का अस्तित्व छठी शताब्दी में मिलता है. सन् 1918 में यह मंदिर छोटा सा था. मंदिर में आने-जाने के लिये पहाड़ी से दुर्गम रास्ते से आना-जाना होता था. सन् 1951 में इस मंदिर में सीढ़ियों का निर्माण हुआ. यहां नवरात्रि पर मेला लगता है. ऐसा माना जाता है कि मां के दरबार में आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. किवदंतियों के अनुसार आज भी मां शारदा के परम भक्त आल्हा मां के प्रथम दर्शन करते हैं और कमल के ताजे फूल मां के चरणों में अर्पित करते हैं.