प्रयागराज :श्री शंभू पंच अटल अखाड़ा काफी प्राचीन बताया जाता है. अखाड़े के महंत बताते हैं कि इसकी स्थापना 569 इस्वी में गुजरात के गोंडवाना क्षेत्र में हुई थी. इसके ईष्ट देव आदि गणेश गजानन हैं, जिनकी उपासना करके ही अखाड़े के सभी साधु संत अपने दिन की शुरुआत करते हैं. अखाड़े में शंभू पंच ही सर्वोपरि होता है. दो पद सेक्रेटरी और एक जनरल सेक्रेटरी की अध्यक्षता में सारे काम होते हैं.
श्री शम्भू पंच अटल अखाड़ा के महंत बलराम भारती महाराज बताते हैं कि उनका अखाड़ा सबसे प्राचीन है. इस अखाड़े से अलग हुए संतों ने मिलकर दूसरे अखाड़े बनाए हैं. उन्होंने कहा कि इसकी स्थापना आदि शंकराचार्य के निर्देशन में सनातन धर्म और हिंदुओं की रक्षा के लिए की गई थी. इसी वजह से अटल बादशाह और आवाहन सरकार भी कहा जाता था, हालांकि अटल अखाड़े में 500 संत हैं. उन्होंने बताया कि श्री शम्भू पंच अटल अखाड़े में संतों की संख्या बेहद सीमित है. इस अखाड़े में कोई आचार्य महामंडलेश्वर नहीं होता है. पूरे अखाड़े का संचालन प्राचीन पद्धति से होता चला आ रहा है.
उन्होंने बताया कि अखाड़े में चार श्रीमहंत हैं और उनके साथ महासचिव और सचिव हैं, जो मिलकर अखाड़े का संचालन करते हैं. इसके साथ ही महंत के साथ 4 कारोबारी, 2 पुजारी और 1 कोठारी हैं. इनके सहयोग और सहमति से अखाड़े में सभी फैसले लिए जाते हैं. फिलहाल इस अखाड़े के चार महंत बलराम भारती, महंत सत्यम गिरी, महंत पवन गिरी और महंत मंगत पुरी हैं. इस अखाड़े में विरक्त नागा सन्यासी को ही महंत महामंत्री और मंत्री जैसे पदों के लिए लोकतांत्रिक तरीके से बहुमत के आधार पर चुना जाता है और इन्हीं सभी पदों पर चुने गए संतों महंतों के द्वारा सभी प्रकार के फैसले लिए जाते हैं.
आदि गणेश हैं इस अखाड़े के ईष्ट देव :महंत बलराम भारती ने बताया कि उनके अखाड़े के ईष्ट देव आदि गणेश गजानन हैं. उनकी पूजा सबसे पहले की जाती है. आदि गणेश भगवान गणेश के एकदंत स्वरूप से पहले के हैं और भगवान शिव की शादी में भी उन्हीं आदि गणेश की पूजा सबसे पहले की गई थी.
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