शहडोल: खरीफ सीजन की फसल अब अपने आखिरी चरण में है. धान की कटाई का भी दौर शुरू हो चुका है और अब रबी सीजन की तैयारी भी किसान शुरू कर चुके हैं. रबी सीजन में कई क्षेत्रों में गेहूं की फसल बड़े ही प्राथमिकता के साथ और बहुत बड़े रकबे में की जाती है. ऐसे में गेहूं की फसल लगाने से पहले किन बेसिक बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए. गेहूं की किस्म से लेकर, जुताई बुवाई, पानी और दवाई कब कैसे देना है जानिए सबकुछ.
गेहूं की किस्मों का ऐसे करें चयन
कृषि वैज्ञानिक डॉ बीके प्रजापतिबताते हैं कि "गेहूं की खेती करने से पहले हमें सबसे पहले ये जानना जरूरी होता है कि हमारी जलवायु में हमारी आवश्यकता के अनुसार गेहूं की किन किस्मों का हमें चयन करना चाहिए.
शरबती की सुजाता किस्म से बंपर पैदावार (ETV Bharat)
शरबती गेहूं की किस्म
बाजार में शरबती गेहूं की मांग सबसे ज्यादा होती है. इस अवस्था में शरबती गेहूं सुजाता किस्म सबसे अच्छी मानी जाती है. इसके अलावा सी 306 है, लोक वन है. गेहूं की इन किस्मों का चयन करके खेती कर सकते हैं.
गेहूं की नई किस्म की खेती (ETV Bharat)
पूसा तेजस किस्म
पिछले कुछ सालों में देखने को मिल रहा है फरवरी के बाद गर्मी बहुत जल्दी शुरू हो जाती है, जिसके चलते गेहूं के जो दाने होते हैं वो संकुचित हो जाते हैं और सिकुड़ जाते हैं. जिससे गेहूं की फसल का उत्पादन कम हो जाता है. इस अवस्था में हमें गेहूं के गर्मी सहनशील किस्मों का चयन करना होता है. इसके लिए 8759 पूसा तेजस का चयन कर सकते हैं. पूसा अहिल्या, एच आई 1544, जे डब्ल्यू 3382 किस्म का भी चयन कर सकते हैं.
शरबती गेहूं की सुजाता किस्म (ETV Bharat)
देरी से बुवाई करने वाली किस्म
अगर लेट बुवाई कर रहे हैं तो राज 4238 और सीजी 1029 किस्मों का चयन कर सकते हैं. बुवाई में देरी होने पर ये किस्म जल्दी तैयार हो जाती हैं.
ऐसे करें खेत तैयार
कृषि वैज्ञानिक डॉ बीके प्रजापतिबताते हैं कि "गेहूं की बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लें, पहले खेत की जुताई दो बार अच्छी तरह से कर लें. इसके बाद बुवाई करके खेत में पाटा निश्चित रूप से चला दें. जिससे खेत की नमी जो है वो उड़े न. बीज दर की हम बात करें तो गेहूं के जो बीज हम खेत में बुवाई करते हैं वो प्रति हेक्टेयर 100 से 125 किलोग्राम मात्रा लगता है. इसके अलावा बीज का उपचार निश्चित रूप से हमें कर लेना चाहिए. उसके लिए अलग-अलग जैविक और रासायनिक दवाई आती हैं. किसी भी दवाई से बीज को बुवाई से पहले जरूर उपचारित कर लें और फिर उसके बाद ही बुवाई करनी चाहिए. कई बार दीमक की समस्या रहती है तो उसको क्लोरोपायरोफास नामक दवा से उपचारित करके गेहूं की बुवाई करें."
बुवाई के लिए कई मशीन के ऑप्शन
गेहूं बुवाई के लिए सीड ड्रिल मशीन है अब तो सुपर सीडर मशीन, हैप्पी सीडर मशीन, इन मशीनों का निश्चित रूप से उपयोग कर सकते हैं. सुपर सीडर और हैप्पी सीडर मशीन से पहले धान की कटाई के बाद जो खेत में डंठल बचता है उसको काटता है. खेत में मिलाता है और फिर हल्की सी मिट्टी खुदाई करके जहां बीज छोड़ना है, वहां आगे नाली खोद करके वहां बीज ले जाकर उसे ढक देता है.
कितना खाद और पोषक तत्व डालें
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि "पोषक तत्व की बात करें तो गोबर की खाद लगभग 10 टन प्रति हेक्टेयर का हमें उपयोग करना होता है. इसी के आधार पर मिट्टी की जांच के आधार पर हम पोषक तत्वों का चयन करें. गेहूं की खेती के लिए 120 केजी नाइट्रोजन, 60 केजी फास्फोरस, 40 किलो पोटाश की आवश्यकता होती है. अगर जरूरत पड़ने पर हमें सूक्ष्म पोषक तत्व जिंक की कमी होती तो 20 से 25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर इसका उपयोग कर सकते हैं. बुवाई के तुरंत बाद खरपतवार नियंत्रण के लिए कई ऐसी दवाई आती हैं जिनका उपयोग करके उसका नियंत्रण भी कर सकते हैं."
फसल में सिंचाई की बात करें तो गेहूं में सिंचाई की आवश्यकता जमीन के आधार पर होती है. भारी जमीन है तो उसमें कम सिंचाई लगेगी, हल्की जमीन में ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है. जमीन के हिसाब से और फसल की आवश्यकता के हिसाब से सिंचाई करें. वैसे गेहूं की खेती के लिए 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है. कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर हम अच्छी तकनीक या अच्छे नियम से खेती करते हैं, तो हमें प्रति हेक्टेयर गेहूं 50 से लेकर 70 क्विंटल के बीच हमें उत्पादन मिलता है. इससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है.