शहडोल: बीते कुछ महीने से देश में हाथी सुर्खियों में बने हुए हैं. खासकर मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाका शहडोल संभाग ज्यादातर सुर्खियों में रहा. क्योंकि शहडोल संभाग के अनूपपुर, उमरिया में आए दिन हाथियों का मूवमेंट देखने को मिलते ही रहता है. हाल ही में बांधवगढ़ में हाथियों की दर्दनाक घटना किसी से छिपी नहीं है. इन सभी घटनाओं के बाद अब मिशन हाथी के तहत नए-नए प्रयोग किये जा रहे हैं. जिससे हाथी-मानव द्वंद की स्थिति निर्मित न हो और हाथी भी सुरक्षित रहें और लोग भी सुरक्षित रहें.
अब हाथियों को लेकर 'आकशवाणी'
शहडोल जिले में आए दिन हाथियों का मूवमेंट देखने को मिलता है. क्योंकि बांधवगढ़ में हाथियों ने अपना परमानेंट एड्रेस बना लिया है. इसके अलावा भी छत्तीसगढ़ के रास्ते भी आए दिन हाथी यहां पहुंचते रहते हैं. जंगल से लेकर किसानों के खेतों तक अपनी धमा चौकड़ी मचाते रहते हैं, जिससे हाथी मानव द्वंद जैसी स्थितियां बनती रहती हैं. मानव हाथी द्वंद पर ब्रेक लग सके इसके लिए आकाशवाणी केंद्र से भी लोगों को अलर्ट किया जा रहा है. वन विभाग के इस नए प्रयोग को लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं और लोगों को इससे काफी सहूलियत भी मिल रही है.
शहडोल में हाथियों की एंट्री
शहडोल साउथ डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रेबताती हैं कि, ''अभी हाल ही में दो जंगली हाथियों का दल संजय टाइगर रिजर्व से होते हुए शहडोल में आया है. हालांकि हाथी निगरानी दल इस पर नजर बनाए हुए हैं और उनके मूवमेंट पर बदलाव भी दिख रहा है. जहां हाथियों का मूवमेंट है उसको लेकर आकाशवाणी शहडोल को सूचित किया जा रहा है. उनके डायरेक्टर के माध्यम से जिस भी गांव के आसपास हाथी दल होते हैं, उस गांव का नाम और हाथियों की करंट लोकेशन आकशवाणी के माध्यम से प्रसारित की जाती है.''
इस दिन से की शुरुआत
साउथ डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रेबताती हैं कि, ''हमने 26 दिसंबर से पीसीसी वाइल्डलाइफ के निर्देशन पर यह कार्यक्रम शुरू किया. शाम को 7:00 बजे इवनिंग में जो कार्यक्रम प्रसारित होते हैं उसमें ये सूचना जारी की जा रही है. हमारे वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यशाला में निर्देश दिए गए थे जिसके बाद ही हमने पहल की और इसे शुरू करवाया. उन्हीं के निर्देशन पर हमने ये त्वरित काम किया है. इसे अभी और आगे बढ़ाने की भी कोशिश की जा रही है.''
शहडोल आकाशवाणी जिले के कार्यक्रम अधिकारी अविनाश दिवाकर बताते हैं कि, ''वन विभाग की पहल से अभी हाथियों के बारे में जानकारी को लेकर पहल की गई है. जनहित में ये सूचना जारी की जा रहा है और इसे आगे भी किया जाएगा. लेकिन आगे और किस तरह के कार्यक्रम होंगे, इसको लेकर अभी कुछ तय नहीं हुआ है. अभी पत्राचार आदि किए जाएंगे उसके बाद प्लानिंग तैयार की जाएगी. दो-चार दिनों में इसमें भी आगे कुछ करने का प्लान है. जो भी होगा वन विभाग के सहयोग से होगा.''