शहडोल (अखिलेश शुक्ला): मध्य प्रदेश का शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है, लेकिन यहां के युवा हर क्षेत्र में कमाल कर रहे हैं. इस क्षेत्र में जैविक खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है. साथ ही यहां के लोगों में जैविक खेती को लेकर काफी जागरूकता फैल रही है. हर कोई केमिकल फ्री भोजन अपने परिवार के लिए उपलब्ध कराना चाह रहा है. इसी क्रम में मिठौरी गांव के नौकरीपेशा वाले दो युवाओं ने बड़ा कदम उठाया है. फिलहाल, उनकी मेहनत सफल होते दिख रही है. खेत में जैविक सब्जियां लहलहा रही हैं.
दो युवाओं का जुगाड़ मॉडल
शहडोल जिला मुख्यालय से लगभग 20 से 25 किलोमीटर दूर है मिठौरी गांव है, जो सोहागपुर ब्लॉक के अंतर्गत आता है. यह क्षेत्र काली मिट्टी के साथ खेती के नजरिए से एक अलग पहचान रखता है. इस गांव के 2 युवा आज जैविक खेती के जरिए कई प्रकार की सब्जियां उगा रहे हैं. खास बात यह है कि प्रकाश द्विवेदी और प्रभात चौधरी के पास खेती किसानी करने के लिए जमीन नहीं है. इसके लिए उन्होंने किसी तरह से जमीन का जुगाड़ किया और फिर जैविक खेती शुरू की है.
युवाओं का दावा बाजारों में मिल रहीं केमिकलयुक्त सब्जियां (ETV Bharat) 'बाजारों में मिल रहीं केमिकलयुक्त सब्जी'
प्रकाश द्विवेदी ने बताते हैं कि "वे पिछले कई सालों से जैविक खेती करना चाह रहे थे, लेकिन जमीन ना होने के कारण बात आगे नहीं बढ़ पाती थी. वे अक्सर जब भी बाजार से सब्जी खरीदने जाते थे, तो उनको बस यही बात परेशान करती थी कि वे अपने परिवार को केमिकल वाली जहरीली सब्जी खिला रहे हैं. जो सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है. एक दिन उन्होंने अपने दोस्त प्रभात चौधरी से इस बारे में बात की, तो उसको भी यह बात सही लगी. इसके बाद हम दोनों ने मिलकर जैविक सब्जी उगाने का मन बनाकर तैयारियां शुरू कर दी.
ऑर्गेनिक लाल भाजी और पालक (ETV Bharat) दूसरे की जमीन पर शुरू की खेती
इसके बाद उन्होंने साल 2024 में जमीन की जद्दोजहद में जुट गए. उन्होंने बताया कि हमारे घर के पास की एक खाली जमीन पड़ी थी. जिसके लिए उन्होंने जमीन के मालिक से बातकर उनको अपना पूरा प्लान समझाया. उनकी बात जमीन मालिक भी समझ गया और उनकी खाली पड़ी जमीन में जैविक तरीके से सब्जी उगाने के लिए मान गया. इसके बाद उन्होंने खाली पड़ी जमीन को सब्जी उगाने योग्य बनाया और सब्जी उगाना शुरू कर दिया, जो पूरी तरह से जैविक हैं."
जैविक आलू और टमाटर की फसल (ETV Bharat) जैविक तरीके से उगा रहे सब्जी
प्रकाश ने बताया कि "वे अभी उसी खेत में जैविक खेती कर सब्जी उगा रहे हैं. इस तरह से सब्जी की खेती करने में बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है. इसमें किसी भी तरह के केमिकल और खाद का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. वे अपने दोस्त के साथ मिलकर खेती के सभी काम खुद ही करते हैं. इसके साथ ही दोनों लोग नौकरी और काम पर जाते हैं. वे लोग सुबह 10 बजे काम पर निकल जाते हैं और देर रात घर लौटते हैं. इसको देखते हुए खेत में समय देने के लिए एक टाइम टेबल बना रखा है. इसके लिए वे लोग सुबह 5.30 बजे उठकर खेती का काम शुरू करते हैं और सुबह 8.30 तक करते हैं."
जैविक सब्जियां (ETV Bharat) हर प्रकार की सब्जी अवेलेबल
प्रकाश द्विवेदी बताते हैं कि "वे हर प्रकार की सब्जी उगा रहे हैं, भाजियों में पालक भाजी, लाल भाजी, मेथी भाजी, लहलहा रही हैं. उन्होंने थोड़े से जमीन पर आलू भी लगा रखी है. उनका मानना है कि जिस तरह की फसल दिख रही है उसे देखकर यही लग रहा है कि पूरे साल के लिए आलू की पैदावार हो जाएगी. इसके अलावा उन्होंने खेत के थोड़े-थोड़े हिस्से में टमाटर, कद्दू, लौकी, बैगन, फूल गोभी, पत्ता गोभी, मूली, मटर भी लगा रखी है.
पड़ोसियों को भी खिला रहे हरी सब्जी
अब तो कुछ सब्जियां निकलने भी लगी हैं, कुछ निकलने के लिए तैयार हैं. प्रकाश द्विवेदी कहते हैं कि यह तो अभी पहला प्रयास था, जो पूरी तरह से सफल रहा है. अब हम आगे इसको और बड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. हम साल के 12 महीने यहां से घर के लिए केमिकल मुक्त जैविक सब्जियां निकालते रहें, जो सब्जी ज्यादा हो जाती है, उसे हम आस पड़ोस में या दूसरे लोगों को बेच भी देते हैं. हमारी कोशिश ये है कि हमारे माध्यम से दूसरे लोग भी जैविक सब्जियों का सेवन करते रहें.
केमिकल फ्री मूली (ETV Bharat) सब्जी की खेती से डबल मुनाफा
प्रकाश का मानना है कि "अब उन्हें किसी तरह की एक्सरसाइज और वॉकिंग करने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि वो अपने खेत में इतनी मेहनत कर लेते हैं. इससे उनको डबल फायदा हो जाता है, एक तो खेत में काम करवाने के लिए मजदूरी नहीं देने पड़ती है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. इसके साथ ही सब्जियों की सेवा भी हो जाती है, निंदाई गुड़ाई हर तरह का कार्य दोनों लोग हर दिन 2 घंटे करते हैं, जिससे थोड़ा-थोड़ा काम भी होता रहता है. आज उसी का नतीजा है कि हरी भरी सब्जियां लहलहा रही हैं.