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रुद्रप्रयाग की भरदार पट्टी में भीषण पेयजल संकट, मंदाकिनी और अलकनंदा नदियों वाला जिला पानी को तरसा - Rudraprayag drinking water crisis

Drinking water crisis in Rudraprayag नदियों के प्रदेश उत्तराखंड के गांवों में लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं. मंदाकिनी और अलकनंदा नदियों वाले जिले रुद्रप्रयाग की भरदार पट्टी में लोग रात भर जागकर पीने का पानी भर रहे हैं. इस कारण लोगों की दिनचर्या पूरी तरह पटरी से उतर गई है. जल संस्थान बारिश के भरोसे है.

Drinking water crisis in Rudraprayag
रुद्रप्रयाग जल संकट (Photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 25, 2024, 7:05 AM IST

रुद्रप्रयाग: भरदार पट्टी के एक दर्जन से अधिक गांवों में पेयजल का बड़ा संकट बना है. कई ऐसे गांव हैं, जहां नलों पर काफी कम मात्रा में पानी आ रहा है. इससे लोगों के सम्मुख परेशानी पैदा हो गई है. दरमोला में तो लोग रात को 12 बजे तक प्राकृतिक जल स्रोत में पानी भरने के लिए लाइन लगा रहे हैं.

जनपद की भरदार पट्टी हमेशा से ही गर्मियों में पेयजल संकट से जूझती आ रही है. भले ही अब कुछ इलाकों में थोड़ा सुधार हुआ है, मगर अधिकांश इलाकों में पानी की परेशानी बनी है. दरमोला में पानी के लिए प्राकृतिक स्रोत पर रात 12 बजे तक लाइन लगानी पड़ रही है. लोग पानी भरने के कारण रातभर सो नहीं पा रहे हैं. दरमोला में हैंडपंप और अन्य संसाधनों पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ रहा है.

100 से अधिक परिवार के दरमोला गांव में गर्मियों में पर्याप्त पानी न होने से ग्रामीणों के सामने पेयजल संकट पैदा हो गया है. ग्रामीण दरमान सिंह, राजेंद्र सिंह, हिमांशु कपरवाण, बलवीर सिंह आदि का कहना है कि भरदार क्षेत्र में पेयजल संकट के प्रति गंभीरता से कभी काम नहीं किया गया है. कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पानी के लिए लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पानी के कारण लोग रातों को सो भी नहीं पा रहे हैं. प्राकृतिक जल स्रोत पर लोग 12 बजे रात तक पानी भरने के लिए लाइन लगा रहे हैं. किसी तरह बर्तन भरकर काम चलाया जा रहा है. ग्रामीणों ने जल संस्थान से तोक की व्यवस्था सुधारने की मांग की है. इधर, जल संस्थान के अधिशासी अभियंता अनीस पिल्लई ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में टैंकरों से सप्लाई की जा रही है. जहां टेंकर संभव नहीं है, वहां वैकल्पिक व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं. बरसात होते ही समस्या हल हो जाएगी.
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