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निवेशकों से धोखाधड़ी के दोषी पूर्व MLA रणबीर सिंह खर्ब और उनकी पत्नी की सजा निलंबित, 21 मार्च को अगली सुनवाई

Ranbir Singh Kharb and wife sentence suspended: निवेशकों के साथ धोखाधड़ी मामले में पूर्व विधायक रणबीर सिंह खर्ब की अपील पर सेशंस कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उनके और उनकी पत्नी की सात साल कैद की सजा को निलंबित कर रिहा करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 29, 2024, 6:58 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) के सेशंस कोर्ट ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के एक मामले में पूर्व विधायक रणबीर सिंह खर्ब और पत्नी अनीता को ट्रायल कोर्ट से मिली सात साल कैद की सजा को निलंबित कर रिहा करने का आदेश दिया है. स्पेशल जज एमके नागपाल ने 25-25 हजार रुपये के निजी मुचलके और एक-एक जमानती के आधार पर रिहा करने का आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी.

सेशंस कोर्ट ने रणबीर सिंह खर्ब और पत्नी अनीता को रिहा होने के दस दिनों के अंदर जुर्माने की एवज में पांच-पांच लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान दोनों आरोपियों की ओर से वकील एएन अग्रवाल और नुपुर सचदेवा ने कहा कि रणबीर सिंह खर्ब ने इस मामले में 39 महीने न्यायिक हिरासत में गुजारे हैं, जबकि अनीता करीब 30 महीने न्यायिक हिरासत में थी.

उन्होंने सजा को निलंबित करने की मांग करते हुए कहा कि रणबीर खर्ब की उम्र 62 साल है. जबकि अनीता की 56 वर्ष है. सेशंस कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला देने पर पाया कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत के आरोप पर कोई आदेश नहीं दिया गया है. ऐसे में इस मामले पर 21 मार्च को सुनवाई होगी.

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सुनवाई के दौरान रणबीर खर्ब और पत्नी अनीता दोनों जेल से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेश हुए. 26 फरवरी को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने रणबीर सिंह खर्ब और उनकी पत्नी अनीता को सात साल जेल की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने दोनों पर 44 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. कोर्ट ने 26 फरवरी को ही दोनों को हिरासत में लेने का आदेश दिया था.

मामला ऊंचे रिटर्न का झांसा देकर निवेशकों से धोखाधड़ी से जुड़ा है. दोनों पर आरोप था कि एक चिटफंड कंपनी ज्योति फेयर फाइनेंस कंपनी के जरिए ऊंचे रिटर्न का झांसा देकर निवेशकों से करीब तीन करोड़ रुपए ठगे. मामले में पहली शिकायत एएस हुड्डा नामक निवेशक ने 30 सितंबर 2005 को की थी. शिकायतकर्ता ने 1998 से 2002 के बीच कंपनी में 95 लाख रुपए का निवेश किया था. जब शिकायतकर्ता ने कंपनी से रिटर्न मांगा तो उन्होंने देने से इनकार कर दिया.

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