नई दिल्ली:देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान दिल्ली एम्स में नौकरी या यहां से पढ़ाई करने का हर मेडिकल स्टूडेंट का सपना होता है. लेकिन पिछले कुछ सालों से लगातार सीनियर डॉक्टर रिटायरमेंट से पहले दिल्ली एम्स को छोड़कर जा रहे हैं. वह प्राइवेट अस्पतालों में जाकर प्रैक्टिस कर रहे हैं, जो चिंता का विषय है. देश के इतने बड़े प्रीमियर इंस्टीट्यूट से अगर अनुभवी और वरिष्ठ डॉक्टर इसी तरह छोड़ कर जाते रहेंगे तो संस्थान की साख पर सवाल उठना लाजमी है.
जानकारी के मुताबिक, डॉक्टरों के पलायन को लेकर एम्स प्रशासन की ओर से भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा हैं. हाल में एम्स के दो वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर संदीप अग्रवाल ने एम्स को छोड़कर मणिपाल हॉस्पिटल ज्वाइन कर लिया है. इनके रिटायरमेंट में अभी काफी समय बाकी था. इसके अलावा सर्जन डॉक्टर वी सीनू ने भी एम्स से वीआरएस ((स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले लिया. इनके रिटायरमेंट में अभी एक साल बाकी था. हालांकि, उन्होंने अभी कहीं ज्वाइन नहीं किया है. लेकिन, उनके जल्द अमेरिका में सेटल होने की बात कही जा रही है.
इन डॉक्टरों नेAIIMS सेलिया वीआरएस:कार्डियक सर्जन डॉक्टर शिव चौधरी और डॉक्टर मिलिंद, कार्यकाल होने के बावजूद एम्स छोड़ कर जा चुके हैं और वह प्राइवेट अस्पताल में प्रैक्टिस शुरू कर चुके हैं. वहीं डॉक्टर संदीप अग्रवाल, जिनके बारे में बताया जाता है कि वह एम्स में बैरिएट्रिक सर्जरी (मोटापे की सर्जरी) शुरू करने वाले सर्जनों में से एक थे, जिनके जाने के बाद इस सर्जरी की प्रक्रिया प्रभावित हुई है. हालांकि दूसरे डॉक्टर्स ने शुरू कर दिया है और वे दो सर्जरी कर भी चुके हैं. उधर न्यूरोसर्जन डॉक्टर मनमोहन सिंह भी एम्स छोड़ चुके हैं.
डॉक्टरों ने बताई एम्स छोड़ने की वजह:एम्स छोड़ने वाले एक सर्जन ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एम्स में अब पहले जैसा माहौल नहीं है. पहले जो अकादमिक माहौल होता था वह नहीं है. सीनियर की वैल्यू बिल्कुल खत्म हो चुकी है और मेरिट की कोई पूछ नहीं है. असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर का डॉक्टर यह तय करता है कि सीनियर डॉक्टर को सर्जरी का सामान दिया जाए या नहीं. उन्होंने बताया कि वहीं पहले जब कोई डॉक्टर एम्स छोड़कर जाने की बात करता था तो मैनेजमेंट उनसे पूछता था कि क्या समस्या है? आप क्यों छोड़ रहे हैं? तब उनकी समस्या दूर की जाती थी और वे लोग रुक जाते थे. लेकिन अब कोई यह पूछने वाला ही नहीं है.