देहरादून:उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों को प्रकृति ने कई अनमोल तोहफों से नवाजा है. जो इन हिमालयी राज्यों के लिए आर्थिकी का एक बेहतर जरिया बन सकता है, लेकिन प्रकृति के इस अनमोल उपहार के संरक्षण की भी जरूरत है. प्रकृति का संरक्षण सही मायने में पर्वतीय राज्यों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि, प्रकृति संरक्षण के मुख्य आधार जल, जंगल और जमीन ही हैं. ये सभी चीजें उत्तराखंड में मौजूद हैं. यही वजह है कि वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि भविष्य में लोगों को शुद्ध हवा और पानी मिल सके, इसके लिए अभी से ही प्रकृति संरक्षण की दिशा में काम करने की जरूरत है.
ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट इंडेक्स जारी करने वाला पहला राज्य है उत्तराखंड:पर्यावरण संरक्षण की बात तो न सिर्फ देश के सभी राज्य कर रहे हैं. बल्कि, विदेश में भी प्रकृति संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है. ऐसे में उत्तराखंड दुनिया का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट इंडेक्स को जारी किया है. उत्तराखंड ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट इंडेक्स में जल, जंगल, जमीन और वायु है, जो पर्यावरण को संरक्षित करने का काम करते हैं, इन सभी का सूचकांक जारी किया गया है.
साथ ही सूचकांक इसको बयां कर रही है कि विकास के नाम पर अगर पेड़ों की कटाई होती है तो फिर इसके एवज में कितने पेड़ लगाए जा रहे हैं. इकोलॉजी और इकोनॉमी में कैसे तालमेल बिठा रहे हैं और किस तरह के विकास मॉडल को अपना रहे हैं. वातावरण में लगातार बढ़ रहे कार्बन डाई ऑक्साइड की वजह से वातावरण का तापमान भी बढ़ रहा है. यही वजह है कि आज विश्व के लिए ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज एक गंभीर समस्या बनी हुई है.
हालांकि, भारत सरकार ने साल 2070 तक देश को कार्बन न्यूट्रल बनाने का लक्ष्य रखा है. साथ ही रिन्यूएबल एनर्जी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर जोर दे रही है. इसी कड़ी में उत्तराखंड सरकार भी रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ाने के लिए तमाम योजनाएं संचालित कर रही है. ताकि, जनता ज्यादा से ज्यादा रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल करें.
प्रकृति संरक्षण की मुहिम बिना जनता की भागीदारी के नहीं होगी सफल:पर्यावरणविद् एके बियानी ने कहा कि आज के इस दौर में पर्यावरण संरक्षण बहुत जरूरी हो गया है. क्योंकि, उत्तराखंड में लगातार जंगल कट रहे हैं. साथ ही लगातार बसावट बढ़ती जा रही है. जिसके चलते लैंडस्लाइड, फ्लड और एवलांच की घटनाएं हो रही है, जिससे बड़ा नुकसान होता है.
ऐसे में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने की जरूरत है, तभी इन घटनाओं को रोक सकेंगे और सुरक्षित हो पाएंगे. ऐसे में प्रकृति संरक्षण के लिए लगभग हर क्षेत्र में काम करने की जरूरत है. साथ ही कहा कि प्रकृति संरक्षण की कोई भी मुहिम बिना जनता की भागीदारी के सफल नहीं हो सकती है.