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वार्ड के आधार पर दाखिला देने से मना नहीं कर सकते स्कूल: इलाहाबाद हाईकोर्ट - Allahabad High Court Order - ALLAHABAD HIGH COURT ORDER

प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपने एक आदेश में कहा कि नगर पालिका वार्ड के आधार पर दाखिला देने से स्कूल मना नहीं कर सकते हैं.

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Etv Bharat वार्ड के आधार पर दाखिला देने से मना नहीं कर सकते स्कूल: इलाहाबाद हाईकोर्ट

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 5, 2024, 9:17 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून के अंतर्गत किसी बच्चे को नगर निगम वार्ड के आधार पर दाखिला देने से मना नहीं किया जा सकता है. स्कूल यह नहीं कह सकता कि बच्चा नगर निगम के जिस वार्ड में निवास कर रहा है, उसी वार्ड के स्कूल में उसे दाखिला मिलेगा दूसरे वार्ड के स्कूल में नहीं.

मुरादाबाद के वार्ड 15 निवासी बालक अरजीत प्रताप सिंह ने शिक्षा के अधिकार कानून के तहत जिले के वार्ड 16 स्थित आर्यंस इंटरनेशनल स्कूल की प्री नर्सरी कक्षा में अलाभित समूह के लिए आरक्षित 25 प्रतिशत कोटे में आवेदन किया था. इसको खंड शिक्षा अधिकारी मुरादाबाद ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि बच्चे ने अपने वार्ड से इतर वार्ड में स्थित विद्यालय में आवेदन किया था. इसे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई थी. न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने याचिका पर सुनवाई की.

याची बच्चे के अधिवक्ता रजत ऐरन का कहना था कि अनुच्छेद 21A के तहत शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है. 2009 के आरटीई एक्ट में केवल अपने वार्ड के स्कूल में ही एडमिशन लेने की कोई बाध्यता नहीं है. शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है. केंद्र सरकार द्वारा 25 जुलाई 2011 को पास पड़ोस के विद्यालय की परिभाषा जारी की गई है. यही गाइडलाइन मान्य होगी. राज्य सरकार के 11 मई 2016 के शासनादेश से भी स्पष्ट है कि वार्ड विशेष के विद्यालय में ही एडमिशन लेने के लिए किसी भी छात्र को बाध्य नहीं किया जा सकता.

हाईकोर्ट ने सुधीर कुमार के मामले में भी यह माना है कि दूरी अथवा वार्ड के आधार पर किसी बच्चे को शिक्षा के अधिकार के तहत प्रवेश लेने से नहीं रोका जा सकता. विद्यालयों की स्थापना के लिए बनाए गए दूरी अथवा वार्ड के नियमों को बच्चों के प्रवेश लेने की कार्रवाई पर भी लागू नहीं किया जा सकता. मुरादाबाद खंड शिक्षा अधिकारी के आदेश को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को बच्चे के आवेदन पत्र पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया. अदालत ने उम्मीद जताई कि अगले शैक्षणिक सत्र से पहले सरकार वार्ड को लेकर उत्पन्न हो रही असमंजस की स्थिति को स्पष्ट करेगी.

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