नई दिल्ली: आज सावन का तीसरा सोमवार है, राजधानी के तमाम शिव मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. पुरानी दिल्ली में मौजूद प्राचीन श्री गौरी शंकर मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. श्रद्धालु हाथों में जल, बेल पत्र, धतूरा और फूल लेकर मंदिर पहुंच रहे हैं.
इसके अलावा दिल्ली में यमुना किनारे लोहे के पुल से सटे नीली छतरी शिव मंदिर पर भी भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिली, इस मंदिर की बड़ी मान्यता है. यहां राजनीतिक हस्तियां भी रुद्राभिषेक करने पहुंचती हैं. मंदिर के संयोजक मुकेश शर्मा ने बताया कि दिल्ली में एक मात्र नीली छतरी शिवालय है, जिस पर अभिषेक सीधा मां यमुना में जाता है. यही ऐसा शिवालय है, जहां सबसे अधिक रुद्राभिषेक होते हैं. महाराजा युधिष्ठिर ने मंदिर क्षेत्र का जीर्णोद्धार कराया था. पिछले साल यमुना में ऐतिहासिक बाढ़ आई, जिसमें मंदिर डूब गया. तब भी बाहर सीढ़ियों पर खड़े होकर पूजा की. जब पानी कमर तक उतरा, तब अंदाजे से शिवलिंग पर अभिषेक किए गए. घी के कनस्तर छोड़कर सब कुछ बह गया. बाद में मंदिर से गाद निकाली गई. सारे इलेक्ट्रॉनिक आइटम खराब हो गए. फिर से बिजली के सभी उपकरण और रंग-रोगन हुआ.
मंदिर के महंत मनीष शर्मा ने बताया कि ये दिल्ली के द्वापरयुग के 4 मंदिर कालकाजी, योगमाया, किलकारी भैरा-दूधिया भैरों में से एक है. मंदिर के गुंबद में नीलम लगे थे, उस समय रात में जब चंद्रमा की किरणें पड़ती थी, तब आकाश नीला हो जाता था. इसीलिए इसे नीली छतरी मंदिर कहते हैं. इसी मंदिर में अश्वमेध यज्ञ को पूरा करके युधिष्ठिर चक्रवर्ती सम्राट यानी पूरे भारतवर्ष के राजा हुए. इसके अलावा इस मंदिर की खासियत है कि यहां पर 24 घंटे रुद्राभिषेक होता है. भक्त कई पीढ़ियों से आकर यहां भगवान शिव की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं और हर रोज यहां भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है. प्राचीन नीली छतरी मंदिर के बारे में एक और कथा काफी प्रचलित है. बताया जाता है कि भगवान कृष्ण की आठवीं पत्नी यमुना ने इसी मंदिर में भगवान शिव के सामने शादी की थी.