नई दिल्ली: दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज का कहना है कि लोगों को दवाएं न मिले इसके लिए एलजी और स्वास्थ्य सचिव षड्यंत्र रच रहे हैं. इतना ही नहीं हाईकोर्ट में झूठा हलफनामा दायर कर कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं. बिना मंत्री के अप्रूवल के झूठा हलफनामा हाईकोर्ट में पेश किया गया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, स्पेशलिस्ट व पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है. इसपर दिल्ली हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था. इसके बाद डॉ. सरीन की एक समिति बनाई, जिसे जांच करने के लिए कहा गया. हाईकोर्ट के सरकार को दिए आदेश में कहा गया कि हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से क्या-क्या काम किया गया है. इसका डेटा दीजीए.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से हलफनामा दिया गया. यह हलफनामा न तो मुझे दिखाया गया न ही अप्रूव कराया गया. जब कोई हलफनामा हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में जमा करना होता है तो उसका अप्रूवल विभाग के मंत्री से कराना होता है. क्योंकि अंततः जिम्मेदारी मंत्री की होगी, लेकिन इस मामले में चोरी छिपे हाईकोर्ट को हलफनामा दिया गया है. सर्विस डिपार्टमेंट की स्टैंडिंग काउंसिल के जरिए यह हलफनामा दिया गया है.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हलफनामे में कई जगह झूठ बोला गया है. दिल्ली सरकार का वकील इस झूठे हलफनामे को दायर करने के लिए तैयार नहीं होता. वह सबसे पहले पूछता कि मंत्री का अप्रूवल है या नहीं है. इसलिए इस हलफनामे को दायर करने के लिए उपराज्यपाल के अधीन आने वाली स्टैंडिंग काउंसिल के जरिए ये हलफनामा दायर किया गया. यह पूरा षड्यंत्र है. हाईकोर्ट द्वारा कहा गया था कि अस्पतालों में कम से कम दो माह की दवा होनी चाहिए. सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी द्वारा सुनिश्चित किया जाए कि दवाएं डिस्पेंसरी, मोहल्ला क्लीनिक और अस्पतालों के अंदर हो.
एलजी ने आरोपों का किया खंडनः मंत्री के आरोपों का एलजी ने खंडन किया है. उपराज्यपाल सचिवालय से जारी बयान में कहा गया है कि मंत्री का बयान झूठा है.
"दिल्ली सचिवालय में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाए हैं, वह मंत्री द्वारा दिया गया एक और भ्रामक और झूठा बयान है. इस बार मंत्री द्वारा कही गई बात न केवल दिल्ली के लोगों को बल्कि न्यायपालिका को भी गुमराह करने वाला है." -उपराज्यपाल सचिवालय