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1993 में दिल्ली के लिए जितना पानी तय हुआ था, आज भी उतना ही पानी मिल रहा है - सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सौरभ भारद्वाज - Delhi water crisis - DELHI WATER CRISIS

हिमाचल प्रदेश को पानी छोड़ने की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा उसे पहले ही कर देना चाहिए था. सन् 1993 में दिल्ली के लिए जितना पानी तय हुआ था. आज 30 साल बाद भी उतना ही पानी मिल रहा है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 6, 2024, 4:39 PM IST

नई दिल्लीःआम आदमी पार्टी की उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल से पानी के लिए हरियाणा को रास्ता देने को कहा है, जिसमें पार्टी की ओर से आरोप लगाया गया था कि हरियाणा दिल्ली के हिस्से का पानी नहीं दे रहा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद AAP की ओर से कहा गया है कि जो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे पहले ही कर देना चाहिए था. दिल्ली में आबादी बढ़ी लेकिन पानी उतना ही मिल रहा है.

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सन् 1993 में दिल्ली के लिए जितना पानी तय हुआ था. आज 30 साल बाद भी उतना ही पानी मिल रहा है. जबकि दिल्ली की आबादी आज कई गुना बढ़ चुकी है. इससे पेयजल की मांग बढ़ी है और आपूर्ति कम होने से पेयजल संकट खड़ा हो रहा है. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री से दो बार मिला और कहा कि हम राज्य से पानी खरीदना चाहते हैं. इसपर उन्होंने अपनी सहमति भी जताई.

मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि वो हरियाणा की बीजेपी सरकार से यही कह रहे थे कि हिमाचल प्रदेश से दिल्ली पानी लाना चाहते हैं. इसके लिए रास्ता चाहिए. आरोप है कि हरियाणा की बीजेपी सरकार ने रास्ता देने से मना कर दिया. ऐसे में क्या केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित नहीं करना चाहिए था कि हरियाणा पानी के लिए रास्ता दें. सुप्रीम कोर्ट ने आज जो कहा, उसे पहले ही कर देना चाहिए था.

बता दें, आम आदमी पार्टी की ओर से लगातार यह आरोप लगाया जा रहा है कि हरियाणा सरकार यमुना नदी में कम पानी छोड़ रही है. जिससे वजीराबाद बैराज पर यमुना नदी में जलस्तर कम हो गया है. इससे दिल्ली के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पर्याप्त पानी नहीं पहुंच पा रहा है. पानी न आने से दिल्ली में पेयजल संकट खड़ा हो गया है. दिल्ली के जिन इलाकों में दो बार पानी आता था वहां एक बार ही पानी की आपूर्ति दी जा रही है. इसके साथ ही पानी की बर्बादी रोकने के लिए टीमें बनाई गई हैं. पेजलय की बर्बादी करने पर दो हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है.

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