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बंपर सेल के साथ संपन्न हुआ सरस फूड फेस्टिवल, 17 दिनों में करीब 2.75 करोड़ रुपये का हुआ कारोबार - SARAS FOOD FESTIVAL 2024

कनॉट प्लेस में चल रहे सरस फूड फेस्टिवल का समापन. फेस्टिवल में 25 राज्यों के करीब 300 व्यंजनों का लोगों ने उठाया लुत्फ.

दिल्ली के कनॉट प्लेस में चल रहे सरस फूड फेस्टिवल का 17 दिसंबर को समापन
दिल्ली के कनॉट प्लेस में चल रहे सरस फूड फेस्टिवल का 17 दिसंबर को समापन (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 17, 2024, 8:57 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली में बंपर सेल के साथ स्वाद और संस्कृति का संगम सरस फूड फेस्टिवल संपन्न हुआ. फेस्टिवल में 17 दिनों में लगभग पौने तीन करोड़ रुपये का कारोबार हुआ. इस बार तीसरा मौका था, जब फूड फेस्टिवल का आयोजन किया गया, जिसमें तीन वर्षों में सबसे अधिक सेल का रिकॉर्ड बना. एक दिसंबर से 17 दिसंबर तक दिल्ली के दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस के बाबा खड़क सिंह मार्ग पर इसका आयोजन किया गया.

भारतीय संस्कृति और खान पान की झलक: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) द्वारा समर्थित इस फेस्टिवल में राजधानी के लोगों को भारतीय संस्कृति और खान पान की झलक दिखाई दी. समापन समारोह के मौके पर ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव शैलेश कुमार, अपर सचिव चरणजीत सिंह, संयुक्त सचिव स्वाति शर्मा, संयुक्त सचिव अमित शुक्ला, संयुक्त सचिव स्मृति शरण समेत मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.

300 से अधिक उत्कृष्ट व्यंजनों का मिला लुत्फ:सरस फूड फेस्टिवल के तहत दिल्ली और समीपवर्ती राज्यों के लोग 25 राज्यों की संस्कृति और स्वाद के संगम के संगम से न केवल रू-ब-रू हुए, बल्कि इन राज्यों के सामाजिक ताने बाने के बारे में भी जाना. इसमें न केवल दिल्ली बल्कि दिल्ली के बाहर के लोग भी विभिन्न राज्यों के व्यंजन चखने और उसे कैसे बनाते हैं यह जानने के लिए पहुंचे. फूड फेस्टिवल के दौरान लोगों ने 25 राज्यों के 300 से अधिक उत्कृष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठाया.

महिला उद्यमियों ने लिया भाग:फूड फेस्टिवलमें देशभर के 25 राज्यों की करीब 150 महिला उद्यमी व स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने हिस्सा लिया. ग्रामीण विकास मंत्रालय के मुख्य कार्यक्रम, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित देशभर के स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं को न केवल ग्रामीण उत्पाद बनाने में कुशलता का प्रदर्शन किया, बल्कि विभिन्न राज्यों के परंपरागत पकवान बनाने में दक्षता दिखाई.

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