रांची एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा का बयान रांची:राजधानी रांची में पुलिस ने झारखंड सरकार के पीएचईडी विभाग के एक कर्मचारी को 20 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार कर्मचारी के पास से पुलिस ने 51 लाख रुपए नगद भी बरामद किया है. घोटाले को लेकर रांची के सदर थाने में पिछले साल एफआईआर दर्ज करवायी गयी थी.
जांच के बाद गबन की राशि 20 करोड़ पहुंची
पेयजल एवं स्वच्छ स्वर्णरेखा शीर्ष कार्य प्रमंडल रांची में शहरी जिला पूर्ति योजना की राशि मे से बीस करोड़ रूपये का घोटाले के आरोप में पीएचईडी प्रमंडल रांची में कार्यरत कर्मचारी संतोष कुमार (कैशियर) को रांची पुलिस ने सुखदेवनगर इलाके से गिरफ्तार कर लिया है. एसएसपी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी की निशानदेही पर 51 लाख रुपये बरामद किए गए हैं. कर्मचारी संतोष कुमार ने अपने ससुराल और घर में गबन की गई राशि को छिपाकर रखा था.
2023 में दर्ज हुआ था मामला
दरअसल, एसएसपी के अनुसार पेयजल स्वच्छता शीर्ष कार्य प्रमंडल विभाग में यह घोटाला गिरफ्तार संतोष कुमार के द्वारा कुछ अन्य कर्मचारियों की मिली भगत से अंजाम दिया गया था. संतोष कुमार ने घोटाले को अंजाम देने के लिए दो निजी कंपनियां बनाई और अपने सगे संबंधियों के 15 से अधिक खाता खोले और रांची ट्रेजरी से लगभग 20 करोड़ रुपए निकाल कर इन खातों में डाल दिए. मामले को लेकर विभाग के द्वारा साल 2023 में रांची के सदर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी.
फरार चल रहा था संतोष
रांची के सीनियर एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही संतोष फरार चल रहा था. संतोष को गिरफ्तार करने के लिए रांची के सिटी एसपी राजकुमार मेहता के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया था. इसी बीच जानकारी मिली की संतोष रांची के सुखदेव नगर इलाके में नजर आया है. जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया. संतोष के पास से 51 लाख रुपए नगद बरामद किया गया है. एसएसपी के अनुसार इस मामले में कई अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई है, मामले की जांच अभी भी जारी है इसमे आगे भी कार्रवाई की जाएगी.
कैसे हुआ घोटाला
एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि पेयजल विभाग में साल 2012 में एलएनटी कंपनी को रांची में पाइपलाइन बिछाने का काम दिया था. लेकिन कंपनी ने बीच में ही काम बंद कर दिया. इसके बाद विभाग के कुछ लोगों ने साजिश रची और किए हुए काम के बदले दोबारा फर्जी बिल बना उस पर संबंधित लोगों के फर्जी हस्ताक्षर किए और ट्रेजरी में नया कोड खुलवा कर एलएनटी को जो भुगतान हुआ था उसका दोबारा भुगतान करवा लिया. पहली बार मे 1.32 करोड़, दूसरी बार मे 6 करोड़ और तीसरी बार मे लगभग 13 करोड़ रुपए ट्रेजरी से निकाल लिए गए. पैसे के निकासी के लिए अलग अलग बैंकों में खाते खुलवाए गए थे.
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