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सवालों के घेरे में संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय प्रबंधन, कोरोना काल में कॉपी खरीदी का है मामला - SANT GAHIRA GURU UNIVERSITY

संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय प्रबंधन एक बार फिर सवालों के घेरे में है.इस बार मामला कोरोना काल में कॉपी खरीदी का है.

Sant Gahira Guru University management under question
सवालों के घेरे में संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय प्रबंधन (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 28, 2024, 7:52 PM IST

सरगुजा : संत गहिरा गुरु विश्व विद्यालय अपनी कारगुजारियों को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में है. हालांकि ये मामला पुराना है. लेकिन इसका खुलासा अब हुआ है. विश्वविद्यालय ने कोरोना काल में 21 लाख उत्तर पुस्तिकाएं खरीदी हैं. जबकि छात्र ऑनलाइन पेपर के जरिये घर में अपने पैसे से कापियां खरीदकर लिख रहे थे इसके बाद इन्हीं कॉपियों को विश्वविद्यालय में जमा किया था. लेकिन उस दौरान भी करीब 5 लाख मुख्य उत्तर पुस्तिका और 17 लाख सप्लीमेंट्री कापी विश्व विद्यालय ने खरीदी हैं. अब नए कुलपति ने टीम गठित कर मामले की जांच कराने की बात कही है.


कैसे हुआ खुलासा : छात्र नेता रचित मिश्रा ने सूचना के अधिकार के तहत विश्व विश्वविद्ध्यालय से कुछ दस्तावेज मांगे थे. उनमें ये बात निकलकर सामने आई कि की 17 लाख 30 हजार सप्लीमेंट्री कॉपी और 5 लाख मुख्य उत्तर पुस्तिका का कोई रिकार्ड ही नही है. रचित ने बताया कि अप्रैल 2022 में यूनिवर्सिटी ने 21 लाख 30 हजार उत्तर पुस्तिका खरीदी है. जबकि वो कोरोना का दौर था जब छात्रों ने अपने पैसे से उत्तर पुस्तिका खरीदकर घर पर लिखकर जमा की थी. कोरोना काल खत्म होने के बाद भी कॉपियां खरीदी गई है.किसी साल 2 लाख तो किसी साल 3 लाख की भी कॉपी की खरीदी हुई है.

सवालों के घेरे में संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय प्रबंधन (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

छात्रों की संख्या से दोगुना कॉपियों की खरीदी हुई है. जबकि उस समय 2022 में कोरोना काल चल रहा था.आज रिकार्ड मांगने पर इन कापियों का कोई रिकार्ड यूनिवर्सिटी के पास नहीं मिल रहा है, ये एक बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है.जिसके लिए माननीय कुलपति महोदय से जांच कर कार्रवाई की मांग की गई है. अगर मामले में कार्रवाई नही हुई तो आजाद सेवा संघ प्रदर्शन भी करेगा- रचित शर्मा, छात्र नेता

इस पूरे मामले में कुलपति पीपी सिंह ने कहा कि उत्तर पुस्तिकाएं खरीदी गई और उसकी जरूरत भी होती है. एक अनुमानित तौर पर विश्व विद्यालय को एक वर्ष में 8 लाख उत्तर पुस्तिकाओं की जरूरत होती है. लेकिन शिकायत में जो बताया गया है कि 5 लाख मुख्य पुस्तिका और 17 लाख 30 हजार अन्य पुस्तिका खरीदी गई है इसका स्टाक एवं बिल ब्योरा सूचना के अधिकार के तहत नहीं प्राप्त हो पा रहा है. इसके लिए हमने तत्काल टीम बना दी है.जो पूरी खरीदी की जांच कर रही है.जैसे ही रिपोर्ट आएगा तो कॉपियों को खरीदने की जानकारी मिलेगी.

इसमें ये देखा जाएगा कि कोरोना के पहले कितना खरीदा गया और कोरोना के बाद उसका ब्योरा देखा जाएगा. अगर दोषी पाए गए जो भी दंडात्मक कारवाई होती है वो होगी- पीपी सिंह,कुलपति

इस पूरे मामले में अब विश्वविद्यालय प्रबंधन जांच कराने के बाद कार्रवाई की बात कह रहा है.लेकिन बड़ी बात ये है कि जब कोरोना काल में पेपर ऑनलाइन हो रहे थे,तो प्रबंधन ने किसके आदेश पर इतनी बड़ी संख्या में खरीदी की.यही नहीं इतनी बड़ी संख्या में खरीदी गई उत्तर पुस्तिकाओं का कोई भी बिल अब यूनिवर्सिटी में नहीं है.ऐसे में अब इस पूरे मामले से पर्दा जांच के बाद ही उठ पाएगा.

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