वाराणसी :अलग-अलग क्षेत्रों में MBA के कोर्स के बारे में आपने काफी सुना होगा, लेकिन मंदिर प्रबंधन में भी इसी तरह के पाठ्यक्रम के बारे में नहीं पता होगा. दरअसल, वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मंदिर मैनेजमेंट का कोर्स शुरू करने जा रहा है. इस कोर्स के माध्यम से मंदिर निर्माण से लेकर मंदिर संचालन तक की प्रक्रिया के बारे में बताया जाएगा. इसके लिए विश्वविद्यालय बाकायदा MBA की तरह की एक पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है, जिससे पब्लिक मैनेजमेंट भी सीखा जा सकेगा. यह कोर्स पूरी तरह से ऑनलाइन होगा, जिसे विश्वविद्यालय द्वारा ही संचालित किया जाएगा.
रोजगार परक कई कोर्सेज की शुरुआत
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय इस समय कई तरह के कोर्स ला रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा अब तक तमाम ऐसे कोर्सेज की शुरुआत की गई है, जिससे कि उन लोगों को रोजगार पाने में आसानी हो सके, जो किसी कारण से पढ़ाई करने क्लास में नहीं जा सकते हैं. लगभग 10 से अधिक कोर्सेज को ऑनलाइन शुरू किया गया है. इसमें खासकर पंडित-पुजारियों के लिए भी कोर्स तैयार किए गए हैं. अब एक बार फिर नई शुरुआत करते हुए विश्वविद्यालय मंदिर प्रबंधन के लिए कोर्स शुरू करने जा रहा है. इससे न सिर्फ मंदिर मैनेजमेंट सीखा जा सकेगा, बल्कि मंदिर बनने, मंदिर में मूर्ति लगाने आदि संबंधी जानकारी भी ली जा सकेगी.
2 नए सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने का फैसला
कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय ने हाल ही में 10 ऑनलाइन कोर्सेज की शुरुआत की है. उन कोर्सेज की सफलता को देखते हुए दो और सर्टिफिकेट कोर्स तैयार करने का फैसला लिया है. इसमें से एक है मंदिर प्रबंधन. भारत धर्मपरायण देश है. लोगों की आस्था मठ, मंदिरों में रहती है. इसलिए मंदिर प्रबंधन कैसे किया जाए, इसको भी सिखाया जाएगा. जब हम मंदिर प्रबंधन की बात करते हैं तो उसमें केवल बने हुए मंदिरों की बात नहीं होती है.
कोर्स में मंदिर निर्माण से मूर्ति स्थापना तक जानकारी
कुलपति ने कहा कि अगर मंदिर निर्माण भी करना है तो उसे आधारभूत वास्तुशास्त्रीय सिद्धांत और नियम हैं, उनका भी हम ज्ञान देंगे. मंदिर बनने के बाद अगर उसमें मू्र्ति की स्थापना करनी है तो कौन सी और कैसी मूर्ति होनी चाहिए, किस तरफ उसका मुख होना चाहिए, क्या उसकी ऊंचाई होनी चाहिए और उसकी प्राण-प्रतिष्ठा का क्या विधि-विधान होना चाहिए, ये सभी चीजें बारीकी से हम मंदिर प्रबंधन में सिखाएंगे. इस संदर्भ में हमारे आदिशंकराचार्य ने मठामनाय ग्रंथ का निर्माण किया है कि मठ-मंदिरों का प्रबंधन कैसे हो, पुजारी को किन नियमों का पालन करना चाहिए, पुजारी में किन-किन योग्यताओं का होना आवश्यक है.