लखनऊ: उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी कांग्रेस को तीन सीटों पर देने को राजी हो गई है. इसके बाद यूपी में कांग्रेस को सीट देकर समाजवादी पार्टी दूसरे राज्यों में भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से सीट शेयरिंग के फार्मूले पर बातचीत करेगी. अखिलेश की कोशिश है कि समाजवादी पार्टी को जो 2024 के लोकसभा चुनाव में तीसरी बड़ी पार्टी का दर्जा मिला है. ऐसे में दूसरे राज्यों की विधानसभा चुनाव में उसे न सिर्फ सीट मिले, बल्कि चुनाव में अच्छा वोट पाकर गठबंधन दलों के साथ उसका मत प्रतिशत बढ़े और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी समाजवादी पार्टी को मिल सके.
समाजवादी पार्टी यूपी की दस सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में तीन सीटें कांग्रेस को देने पर सहमत हो चुकी है. इनमें अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट, मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट और मिजार्पुर की मंझवाँ सीट शामिल है. उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सफलता उनकी पार्टी को मिली है. पिछड़े दलित अल्पसंख्यक फार्मूले के आधार पर चुनाव मैदान में उतरी समाजवादी पार्टी को अब तक का सबसे शानदार परफॉर्मेंस के आधार पर 33% से अधिक वोट मिले हैं, जबकि उन्हें 37 सीटों पर जीत दर्ज हुई है.
देश की समाजवादी पार्टी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है, लेकिन अखिलेश यादव को अभी अन्य चुनावी राज्यों में अपना वोट बैंक बढ़ाना होगा. इसे ध्यान में रखते हुए अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के उपचुनाव के साथ-साथ अन्य जिन राज्यों में चुनाव होने हैं जैसे कि हरियाणा और महाराष्ट्र में भी कांग्रेस पार्टी के साथ सीट शेयरिंग के फार्मूले पर बातचीत की है. जो सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी यूपी में कांग्रेस को तीन सीट देने पर सहमति जाता चुकी है. जबकि कांग्रेस पार्टी अन्य चुनावी राज्यों में भी जहां-जहां समाजवादी पार्टी की स्थिति विधानसभा सीटों पर मजबूत है, वहां पर सीट देने की बात कह रही है.
अखिलेश की कोशिश है कि अन्य राज्यों में भी समाजवादी पार्टी को जो भी वोट मिलेगा, उसके आधार पर उनका वोट बैंक फिशर में वृद्धि होगी और अन्य राज्यों में मिले वोट के आधार पर समाजवादी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकेगा. समाजवादी पार्टी को मध्य प्रदेश महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ राजस्थान हरियाणा जैसे राज्यों में करीब आधा दर्जन सीटों पर अच्छा जानदार बताया जाता है और समाजवादी पार्टी इन राज्यों में 5 से 7 सीटों पर मजबूत स्थिति अपनी बताती रही है. ऐसे में महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव में भी अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग चाहते हैं.