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समाजवादी पार्टी ने यूपी के कोने-कोने में शुरू की पीडीए पंचायत, जानिए क्या है मकसद और लक्ष्य? - AKHILESH YADAV

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश के सभी जनपदों में बूथ स्तर पर पीडीए पंचायत का आयोजन

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सपा की सभी जिलों में पीडीए पंचायत शुरू (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 29, 2025, 3:58 PM IST

लखनऊ:समाजवादी पार्टी ने 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से कमर कस ली है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर 27 जनवरी से प्रदेश के सभी जनपदों में बूथ स्तर तक पीडीए पंचायत का आयोजन शुरू हो गया है. पार्टी द्वारा जारी किए गए बयान की मानें तो यह कार्यक्रम 2027 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनाने और अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने के संकल्प के साथ अनवरत जारी रहेगा.

समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि इस बार भाजपा से निपटने के लिए सपा अध्यक्ष के निर्देशानुसार कार्यकर्ताओ को घर-घर पीडीए पर्चा पहुंचाने की अपील की गई है. साथ ही जनता को यह समझाने के लिए भी कहा गया है कि प्रभुत्ववादी हमेशा से बाबा साहेब के खिलाफ रहे हैं और वो समय-समय पर उनके अपमान के लिए तिरस्कारपूर्ण बयान भी देते रहे हैं. क्योंकि बाबा साहेब सदैव से एक ऐसे व्यक्तित्व रहे हैं, जिन्होंने संविधान बनाकर शोषणात्मक-नकारात्मक प्रभुत्ववादी सोच पर पाबंदी लगाई थी.
चौधरी ने कहा कि सपा पीडीए पंचायत के माध्यम से समाज के शोषित, वंचित, पीड़ित लोगों को साधने में लग गई है. पीडीए समाज को संगठित कर अपने लिए 2027 विधानसभा चुनाव की राह आसान करना चाहती है. पीडीए पंचायत की मदद से सपा एक बार फिर आरक्षण के माध्यम से हक और अधिकार पर लोगों जुटाने की जुगत में है. साथ ही जातिगत जनगणना जैसे मुद्दों को भी इसमे शामिल किया गया है.

राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि अब पीडीए समाज के हर युवक, युवती, महिला, पुरूष ने ये ठान लिया है कि वो सामाजिक एकजुटता से राजनीतिक शक्ति प्राप्त करके अपनी सरकार बनाएंगे. बाबा साहेब और उनके संविधान को अपमानित और खारिज करने वालों को हमेशा के लिए सत्ता से हटा देंगे. इसके साथ ही जो प्रभुत्ववादी और उनके संगी-साथी संविधान की समीक्षा के नाम पर आरक्षण को हटाने, नौकरी में आरक्षण का हक मारने का बार-बार षडयंत्र रचते हैं, उन्हें ही हटा देंगे. इसके बाद ही जाति जनगणना हो सकेगी. पीडीए समाज को उनकी गिनती के हिसाब से उनका हक और समाज में उनकी भागीदारी के अनुपात में सही हिस्सा मिल पाएगा.

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