जयपुर: शादी के बाद प्राय: बेटियों को मायके आने के लिए इंतजार करना पड़ता है. अक्सर ऐसा देखने को मिलता है कि वीडियो कॉल और फोन के जरिए ही परिजनों से बात होती है. ऐसे दौर में डीडवाना जिले के बोरावड़ में सेवड़ राजपुरोहित परिवार की ओर से सोमवार को आयोजित सखी सहेली सम्मेलन चर्चाओं में शुमार हो गया. इस सम्मेलन में मायके आई बहन बेटियों का चुनरी ओढ़ाकर सम्मान किया गया. बेटियां भी परिजनों के बीच सम्मान पाकर काफी खुश नजर आई.
राजपुरोहित समाज का सखी सहेली सम्मेलन (Video ETV Bharat Didwana) राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु सहित देश के कई हिस्सों में बसी बोरावड़ की बहन-बेटियां एक साथ अपने मायके आई. इसके लिए पूरा सेवड़ राजपुरोहित परिवार उनकी आवभगत में जुटा. अपने गांव की गलियों, स्कूल, सहेलियों को देखकर बेटियां भी भावुक हो गई और बचपन की सहेलियों से मिलकर पुराने दिनों को याद किया. सखी सहेली स्नेह मिलन दो दिन चला. इस समारोह में गांव की 115 बहन-बेटियां, जो शादी के बाद ससुराल चली गई थी, अपने परिवार सहित पीहर पहुंची और इस प्रोग्राम में हिस्सा लिया. पूर्व प्रधान हिम्मत सिंह राजपुरोहित ने बताया कि सामाजिक एकजुटता बढ़ाने और रिश्तों को जोड़ने के मकसद के साथ संयुक्त परिवार व्यवस्था एक नए सिरे से पुनर्स्थापित हो, इसके लिए यह एक सामाजिक पहल की गई है.
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सम्मेलन में हर उम्र की बेटियों ने की शिरकत: बोरावड़ में इस सम्मेलन की खासियत यह रही कि इसमें नव विवाहिता से लेकर 92 वर्षीय बहन बेटियों ने कार्यक्रम में शिरकत की. आयोजन की पूर्व संध्या पर एक भजन संध्या भी हुई, जिसमें जाने माने कलाकारों ने भजनों की प्रस्तुतियां दी.
कलश यात्रा निकाली:सोमवार शाम को बहनों ने गणेश डूंगरी के ऋद्धि सिद्धि गणेश मंदिर से गाजे बाजे के साथ कलश यात्रा निकाली. कस्बे के मुख्य बाजार से होते हुए यह कलश यात्रा राजपुरोहित पोल पहुंची. सम्मेलन में बहन बेटियों ने सोलह श्रृंगार के साथ परंपरागत राजस्थानी परिधान पहनकर कलश धारण किया. देश के अलग-अलग हिस्सों से आई बेटियां अपने परिवार के साथ खुश नजर आई. बेटियों ने बताया कि सखी सहेली सम्मेलन से परिवार और समाज को एक नई दिशा मिलेगी. साथ ही आपसी प्रेम, भाईचारा और सौहार्द्र बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज को मजबूती मिलेगी और समाज को एक नई ऊर्जा के साथ एक नई पहचान मिलेगी.
समाज के नाम शपथ: कार्यक्रम में बहन बेटियों ने बालिका शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, सनातन और पारंपरिक संस्कृति को बचाए रखने का संकल्प भी लिया गया. इस सम्मेलन को लेकर राजपुरोहित समाज नवयुवक मंडल के युवा दो महीने से तैयारियां कर रहे थे. पुणे, मुंबई, चेन्नई सहित अन्य राज्यों में व्यापार करने वाले गांव के बेटों ने भी व्यवस्थाओं को संभाला. स्थानीय महिला मंडल और नवयुवक मंडल की पूरी टीम ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया. पहली बार हुए इस कार्यक्रम को लेकर गांव में अलग ही जोश नजर आया. मायके आई बहनों ने कहा कि भाइयों ने चुनरी ओढ़ाकर हमारा जो मान बढ़ाया है, उसके लिए ईश्वर से हम सभी बहन बेटियां कामना करती हैं कि उनकी हर मनोकामनाएं पूरी हो और इस तरह के सफल आयोजन होते रहे.