महंत जितेन्द्रानंद सरस्वती और महंत स्वामी बालक दास ने दी जानकारी (video credit- Etv Bharat) वाराणसी: सुल्तानपुर में मंगेश यादव के एनकाउंटर पर सपा मुखिया अखिलेश लगातार भाजपा सरकार पर हमलावर हैं. इसी क्रम में उन्होंने शुक्रवार को मठाधीश और माफिया को एक समान करार दे दिया. उनके इस बयान से संतों में गहरी नाराजगी है. वाराणसी के संतों ने उन्हें सोच-समझकर बोलने की नसीहत दे डाली. अखिल भारतीय संत समिति और काशी विद्वत परिषद की तरफ से बयान जारी करते हुए अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला गया है. संतों का कहना है कि अखिलेश मठाधीश और माफियाओं को एक बराबर मानकर संतों के प्रति अपनी गंदी मानसिकता को बयां कर रहे हैं.
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती का कहना है कि यह गंदी राजनीति है. इस तरह की राजनीति करके अखिलेश यादव क्या साबित करना चाह रहे हैं, यह समझ में नहीं आ रहा है. समाज में दुश्चरित्र के साथ कार्य करने वाले लोगों को अपने परिवार का हिस्सा मानने वाले अखिलेश यादव से यह अपेक्षा भी की जा सकती है.
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जितेन्द्रानंद ने कहा कि अखिलेश यादव को सनातन धर्म और संतों से इतनी नफरत है, कि वह इस तरह के गंदे बयान दे रहे हैं. यह नफरत की पराकाष्ठा है. उन्होंने कहा, कि यह सनातन और हिंदू धर्म के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया-ब्रिटेन में होने वाले आयोजनों में हिस्सा लेने का दुष्परिणाम है. उत्तर प्रदेश की जनता ऐसे माफियाओं के दलालों को बहुत अच्छे से जान गई है. उन्हें ठीक समय पर जवाब भी देगी. अगर जरूरत पड़ेगी तो संत समाज अखिलेश यादव के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाएगा.
काशी विद्युत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी का कहना है, कि अखिलेश यादव की तरफ से मठाधीश्वर महंतों को माफियाओं का पर्याय कहना बिल्कुल गलत है. अखिलेश यादव को इस तरह की बयानबाजी से बचना चाहिए. मठाधीश्वर महंत ही सनातन धर्म में लोगों की राह को प्रशस्त करते हैं और लोगों को सही रास्ता दिखाते हैं. ऐसे में अखिलेश यादव का यह बयान निंदनीय है और काशी विद्वत परिषद इसकी निंदा करता है.
वहीं, पातालपुरी मठ के महंत बालक दास का कहना है, कि अखिलेश यादव की मानसिक हालत खराब हो चुकी है. वह उन माफियाओं के साथ मिलकर काम करते थे वे अब दुनिया में नहीं है. अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी के इशारे पर अखिलेश यादव और उनकी पार्टी काम करती रही. उन्होंने पता नहीं कितने लोगों की जान ली और कितने लोगों की जमीनों पर कब्जा किया. ऐसे माफिया से महंत और मठाधीशों की तुलना करके अखिलेश यादव अपनी बुद्धि हीनता का परिचय दे रहे हैं. इसलिए, संत समाज इसकी घोर निंदा करता है.
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