मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

सागर के वैज्ञानिकों की खोज से थम जाएगी उम्र, बेशकीमती चाय और क्रीम से रहेंगे जवान - Sagar University Scientists

सागर यूनिवर्सिटी की फॉरेंसिक साइंस और क्रिमिनोलॉजी की असि. प्रोफेसर डॉ. वंदना विनायक ने शैवाल से कई तरह के प्रोडक्ट तैयार किए है. जिनके इस्तेमाल से लोग स्वस्थ और जवान बने रहेंगे. साथ ही ये प्रोडक्ट बीमारियों से लड़ने के योग्य बनाए गए है.

DR HARI SINGH GOUR UNIVERSITY
वैज्ञानिकों ने बनाए जवान रहने के प्रोडक्ट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 1, 2024, 5:04 PM IST

सागर: आमतौर पर पानी और जल स्रोतों में नजर आने वाली काई, जिसे शैवाल भी कहते हैं. आपको जानकर अचरज होगा कि हमारे शरीर को स्वस्थ और जवान बनाने में ये अहम भूमिका निभाती है. सागर यूनिवर्सिटी की फॉरेंसिक साइंस क्रिमिनोलॉजी डिपार्टमेंट की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वंदना विनायक और उनकी टीम ने शैवाल के जरिए हर्बल टी और स्किन केयर प्रोडक्ट तैयार किए हैं. ये ऐसे प्रोडक्ट है, जो शरीर को अंदर और बाहर से जवान और बीमारियों से लड़ने के योग्य बनाएंगे. हर्बल टी का एक डोज शरीर के अंदर बूढ़ी हो रही कोशिकाओं को जवान रखेंगे और धीमे पड़ रहे कोशिका विभाजन को रोकेंगे.

स्किन केयर प्रोडक्ट से त्वचा होती है जवान

शैवाल से बने स्किन केयर प्रोडक्ट त्वचा की कोशिकाओं को जवान रखेंगे. कैंसर, डायबिटीज, पार्किंसन, अल्जाइमर, किसी भी तरह के दर्द और संक्रमण को रोकता है. दूसरी तरफ स्किन केयर प्रोडक्ट त्वचा को जवान और त्वचा रोगों के लिए रोकथाम करते हैं. डॉ. वंदना विनायक की टीम की रिसर्च को स्किन केयर प्रोडक्ट को जर्मनी से पेटेंट मिला है. हर्बल टी के लिए उन्होंने भारत में ही पेटेंट के लिए आवेदन दिया है. इनको व्यावसायिक स्तर पर बनाए जाने के लिए फिलहाल काम चल रहा है और जल्द ही बाजार में नजर आएंगे.

स्किन केयर प्रोडक्ट से त्वचा होगी जवान (ETV Bharat)

हिमालय की तलहटी में मिले शैवाल पर रिसर्च

फॉरेंसिक साइंस और क्रिमिनोलॉजी की असि. प्रोफेसर डॉ. वंदना विनायक बताती हैं कि "ये एक माइक्रो अलगे ( microalgae) है और इसका वैज्ञानिक नाम हेमिटोकोकस लेकसट्रिस है. ये पानी में पाई जाती है और हमने इस लोअर हिमालय से इकट्ठा किया है. हर शैवाल में कोई ना कोई पिगमेंट होता है और जब शैवाल को किसी तरह का स्ट्रेस होता है या दिया जाता है, तो वह लिपिड्स (lipids) या पिगमेंट (pigment) बनाने लगती है. इसमें एक बहुत महत्वपूर्ण पिगमेंट पाया जाता है. जिसका नाम एस्ट्राजेनथिन (astaxanthin) है."

डॉ. वंदना विनायक का कहना हैं कि "इसके संवर्धन के लिए हमने अलग-अलग साइज के बबल रैप का परीक्षण किया. 10 हजार माइक्रो लीटर से इसकी शुरूआत की. बबल रैप के अंदर शैवाल को बड़ा (grow) करने की कोशिश की, क्योंकि ये काफी सस्ता है और अपशिष्ट (waste) का उपयोग किया जा रहा है. जरूरत थी कि इसके अंदर का पानी वाष्पीकृत (evaporate) और दूषित (contamination) ना हो, जब तक हम इसमें न्यूट्रिन डालते रहते है, तो यह हरा रहता है. लेकिन हम न्यूट्रिन डालना बंद कर दें या स्ट्रेस के तौर पर बबल रैप में रखी शैवाल के लिए जरूरत से ज्यादा प्रकाश दिया जाए, तो एक दिन के अंदर हरे से लाल रंग की हो जाती है. जिसे आईसालेटेट करने पर एस्ट्राजेनथिन (astaxanthin) मिलता है, जो पानी में नहीं घुलता है."

शैवाल से बनी हर्बल चाय और स्किन केयर प्रोडक्ट

डॉ. वंदना विनायक बताती हैं कि "रिसर्च के आधार पर हमने कई कमर्शियल प्रोडक्ट बनाना शुरू किए हैं. इसके पहले हमने डायटम बेस्ड फिंगरप्रिंट पाउडर बनाया था और इस बार हमने एस्ट्रा टी (astratea और फेस सीरम ( face serum) बनाया है, जो पूरी तरह से जैविक (organic) है. इसमें कोई भी केमिकल (chemical) नहीं है. इसके अलावा हमने एक स्कीन केयर प्रोडक्ट भी बनाया है. जिसे हम मॉइस्चर की तरह उपयोग कर सकते हैं." डॉक्टर वंदना विनायकबतातीहैं कि "इनको ब्यूटी प्रोडक्ट्स कहना उचित नहीं होगा, इनको न्यूट्रिशन प्रोडक्ट कहना चाहिए."

एस्ट्राजेनथिन (astaxanthin) को कहते हैं किंग ऑफ कीटोकेराटिन और एंटीऑक्सीडेंट

एस्ट्राजेनथिन (astaxanthin) को रिसर्च के आधार पर किंग ऑफ कीटोकेराटिन और किंग ऑफ एंटीऑक्सीडेंट कहते हैं, क्योंकि इसकी शक्ति विटामिन सी और विटामिन ई से 6000 गुना ज्यादा है. हमारे प्रोडक्ट मार्केट में अभी इसलिए नहीं है. क्योंकि अभी इसका उत्पादन काफी महंगा है और इसको आइसोलेट करने का तरीका भी काफी कठिन है. फिलहाल इसकी कीमत तो 25 हजार अमेरिकन डॉलर प्रति किलोग्राम है.

ये तीनों प्रोडक्ट कितने फायदेमंद

एस्ट्राजेनथिन (astaxanthin) से तैयार ये प्रोडक्ट हमारे शरीर के लिए कई बीमारियों से लड़ने और त्वचा को चमकदार और जवान बनाए रहने में मददगार साबित होते हैं. हर्बल टी का एक कप हमारे शरीर के अंदर पैदा हो रही बीमारियों को नियंत्रित करता है. दरअसल जब शरीर की कोशिकाएं बूढ़ी होने लगती हैं, तो उनमें कई परिवर्तन आते हैं और म्यूटेशन के कारण कई बीमारियों की वजह बनते हैं. लेकिन एस्ट्राजेनथिन (astaxanthin) शरीर के अंदर पहुंचकर कोशिकाओं को विभाजित करता है और नई कोशिकाएं तैयार करता है. जिससे कोशिकाएं बूढ़ी नहीं होती हैं. इसी तरह स्किन केयर प्रोडक्ट जब शरीर की त्वचा पर उपयोग करते हैं. तो ये हमारी त्वचा की कोशिकाओं को विभाजित करते हुए उन्हें जवान बनाए रखता हैं.

यहां पढ़ें...

सामा खीर के दीवाने हुए लोग, पोषण का अकूत भंडार, इसकी खेती किसानों को बनाएगी लखपति

लखपति बना सकती है हाइब्रिड अंजीर की खेती, जबलपुर के किसान को मिल रहा बंपर उत्पादन

कई गंभीर बीमारियों को करता है नियंत्रित

रिसर्च में साबित हो चुका है कि एस्ट्राजेनथिन (astaxanthin) कई बीमारियों को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है. पार्किंसन,अल्जाइमर, कैंसर, डायबिटीज, किसी भी तरह के दर्द और संक्रमण के अलावा एंटीऑक्सीडेंट कोशिकाओं को बूढ़ा नहीं होने देता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details