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शूटर मॉम: दो बच्चों की मां शादी के 9 साल बाद बनी शूटर, नेशनल प्रतियोगिता में बिखेरेंगी जलवा - sagar national shooter pratibha singh

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 5, 2024, 4:28 PM IST

सपने पूरे करने की कोई उम्र नहीं होती है. इस बात को सागर की प्रतिमा सिंह सही साबित कर रही हैं. प्रतिमा का बचपन का सपना था कि वे शूटिंग के क्षेत्र में नाम कमाएं, लेकिन निजी कारणों के चलते उस समय नहीं कर पाईं. शादी व दो बच्चों की मां बनने के बाद अब वह अपने इस सपने को जी रही हैं. नेशनल प्रतियोगिता में निशाना साधते नजर आएंगी.

SAGAR NATIONAL SHOOTER PRATIBHA SINGH
बचपन का सपना शादी के बाद किया पूरा (ETV Bharat)

सागर।कई बार पारिवारिक जिम्मेदारियां और हालातों के कारण लोग अपने सपनों पूरा नहीं कर पाते और मन की इच्छाएं मन में दबी रह जाती हैं, लेकिन कई लोगों को जब भी सपने साकार करने का मौका मिलता है. तब उम्र और जिम्मेदारी के बंधनों के बावजूद सपने पूरा करने में जुट जाते हैं. हम बात कर रहे हैं सागर की शूटर मॉम प्रतिभा सिंह की जो दो बेटियों की मां बनने के बाद अपने शूटिंग के सपने को साकार किया है. साथ ही अपनी प्रतिभा का शानदार परिचय दे रही हैं. इंदौर के महू में आयोजित ओपन इंडिया नेशनल पिस्टल कंपटीशन में शानदार प्रदर्शन करते हुए आल इंडिया लेवल NARI महिला वर्ग में 14 वीं रैंक हासिल की है और उनका चयन राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हुआ है.

सागर की प्रतिमा सिंह का राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हुआ चयन (ETV Bharat)

ओपन इंडिया नेशनल शूटिंग प्रतियोगिता में चयन

सागर की प्रतिभा सिंह का शूटिंग प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर चयन हुआ है. आर्मी मार्कमेन शिप यूनिट महू में 21 से 27 मई तक ओपन इंडिया नेशनल पिस्टल कंपटीशन का आयोजन किया गया था. जिसमें देश के सभी राज्यों से शूटिंग खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था. इसी प्रतियोगिता में प्रतिमा सिंह ने आल इंडिया NARI महिला वर्ग में 14th रैंक हासिल की थी. प्रतिभा सिंह के पति डॉ. अजय सिंह बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. उनकी एक बेटी 9 साल और दूसरी 5 साल की है. तिलक गंज सागर स्थित डिस्ट्रिक्ट राइफल शूटिंग एकेडमी में प्रतिमा सिंह ट्रेनिंग ले रही हैं.

शादी के 9 साल बाद प्रतिभा सिंह बनी नेशनल शूटर (ETV Bharat)

बचपन का शौक, शादी के बाद कर रहीं पूरा

प्रतिभा सिंह बताती हैं कि उनके घर पर बंदूक थी और दशहरे के मौके पर उन्हें चलाने का मौका मिलता था. उनका बचपन से ही सपना था कि शूटिंग में नाम कमाएं, लेकिन पिताजी सरकारी नौकरी में थे. जिसके चलते पिता जी के ट्रांसफर होते रहते थे. उन्होंने बताया कि "9 साल पहले मेरी शादी हुई और हम लोग सागर शिफ्ट हो गए. यहां पता चला कि सागर में शूटिंग अकादमी है. मैंने अपने पति को अपनी इच्छा के बारे में बताया तो उन्होंने तुरंत हां कह दिया और कहा कि जहां तक खेलना चाहती हो खेलो. इसके बाद मैंने राइफल्स शूटिंग अकादमी में हिस्सा लिया."

चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ना है

"महू में हुए कंपटीशन में सिलेक्शन के पहले स्टेट चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था. इस चैंपियनशिप में मैंने मध्य प्रदेश में 9वीं रैंक हासिल की थी. अभी ऑल इंडिया लेवल पर 14वीं रैंक आई है. इसके पहले भी मैंने कई कंपटीशन में हिस्सा लिया. किसी-किसी में हार भी मिली, लेकिन मैंने सोच लिया है कि पीछे नहीं हटेंगे. हर चुनौती का सामना करते हुए आगे बढ़ते रहेंगे."

समय की कमी सिर्फ एक बहाना

प्रतिभा कहती हैं कि "कुछ करना है तो फिर समय की कमी कोई बहाना नहीं होना चाहिए." बहुत सारा समय ऐसा होता है कि हम सोने और टीवी देखने में बर्बाद कर देते हैं. अगर हमें कोई काम करना है तो हम समय में से समय निकाल सकते हैं. मेरे शूटिंग शुरू करने से ना तो बच्चे डिस्टर्ब हो रहे हैं और ना ही परिवार में किसी तरह का तनाव पैदा हो रहा है. सभी के सहयोग से मेरी शूटिंग की प्रैक्टिस बहुत अच्छे से चल रही है. नेशनल प्रतियोगिता के लिए काफी मेहनत की जरूरत होती है. मेरा प्रयास है कि प्रैक्टिस का समय बढ़ाया जाए. प्रैक्टिस के साथ-साथ एकाग्रता के लिए ध्यान और योग को भी वक्त देना पड़ता है. क्योंकि उसके बिना सफलता संभव नहीं है."

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बच्चों पर ना थोपें अपने सपने और इच्छाएं

प्रतिभा सिंह का मानना है कि "अगर हमारे कोई सपने पूरे नहीं हो पाए तो हमें अपने सपने बच्चों पर नहीं थोपना चाहिए. हम लोग ज्यादातर ऐसा करते हैं कि हम जो सपने पूरा नहीं कर पाए वह हम बच्चों से कराना चाहते हैं. जबकि बच्चों के कुछ और सपने होते हैं. हमें बच्चों पर अपनी इच्छाएं और सपने नहीं थोकना चाहिए. जहां तक उम्र की बात है तो उम्र की कोई सीमा नहीं होती है. यह एक मानसिक स्तर होता है कि हम सोचते हैं कि हमारी उम्र ज्यादा है और जिम्मेदारी ज्यादा होने से हम समय नहीं दे पाएंगे. हम चाहते हैं कि हमें कोई काम करना है तो कोई रुकावट नहीं आती है. अगर परिवार का सहयोग हो तो बड़े से बड़ा सपना पूरा कर सकते हैं."

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