सागर।बुंदेलखंड के ऐतिहासिक जगन्नाथ स्वामी मंदिर गढ़ाकोटा में डेढ़ सौ साल से ज्यादा समय से चली आ रही रथयात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं. सागर जिले के गढ़ाकोटा में हर साल निकलने वाली रथयात्रा में बुंदेलखंड के श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. मान्यता है कि जो भक्तगण पुरी नहीं जा पाते हैं, वे गढ़ाकोटा पहुंचकर पुरी जैसे दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करते हैं. रथ यात्रा की पहले सभी परंपराएं विधिवत निभाई जाती हैं. 14 दिन पहले बीमार हुए भगवान की नाड़ी देखकर इलाज करने की परंपरा गढ़ाकोटा का तिवारी परिवार तीन पीढियों से निभा रहा है. इसी कड़ी में गुरुवार को जगन्नाथ स्वामी की नवाज टटोल के बाद वैद्य ने औषधियुक्त काढ़ा देने की सलाह दी है.
167 साल पुराने मंदिर की परम्परा आज भी जारी
जिले गढ़ाकोटा में 167 साल से जगन्नाथ पुरी की तरह रथयात्रा निकाली जा रही है. रथयात्रा के दिन गढ़ाकोटा में भगवान जगन्नाथ के दर्शनों के लिए जनसैलाब उमड़ता है. रथ यात्रा के ठीक 14 दिन पहले भगवान बीमार पड़ जाते हैं और उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए महंत और महामंडलेश्वर हरिदास ने वैद्य बुलाने की परंपरा का निर्वाहन किया. पिछली तीन पीढ़ियों से वैद्य परम्परा निभा रहे तिवारी परिवार के वैद्य पं.अम्बिकाप्रसाद तिवारी ने मदिर पहुंचकर भगवान की नब्ज टटोली और नब्ज के हिसाब से भगवान के लिए औषधि दी. औषधि का काढ़ा बनाकर भोग लगाया गया और फिर मूंग दाल का पानी भगवान को पिलाया जाएगा. भगवान जगन्नाथ रथ दोज से पहले स्वस्थ हो जाते हैं.
तिवारी परिवार तीन पीढ़ियों से निभा रहा परम्परा
अम्बिकाप्रसाद तिवारी के पूर्वज 3 पीढ़ियों से वैद्य का दायित्व निभा रहे हैं. पुरी की तर्ज पर गढ़ाकोटा में भी प्रतिवर्ष आषाढ़ महीने की दोज को भगवान जगन्नाथ स्वामी, बलदाऊ भैया, बहन सुभद्रा की रथयात्रा निकलने का सिलसिला अनवरत चल रहा है. धर्म से जुड़े लोगों का मानना है कि जो लोग भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथ यात्रा में पुरी (उड़ीसा) नहीं पहुंच पाते, वे गढ़ाकोटा की रथयात्रा में शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं.