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राहतगढ के प्रसिद्ध बनेनी घाट पर मिले परमार कालीन चट्टान पर 1200 साल पुराने उकेरे गए 5 शिवलिंग - baneni ghat in rahatgarh

Sagar Five Shivling Found: बुंदलेखंड के राहतगढ़ स्थित प्रसिद्ध बनेनी घाट पर खुदाई में एक चट्टान में एक ही आकृति के पांच शिवलिंग मिले हैं. इसकी जानकारी मिलते ही आस-पास के ग्रामीणों का यहां तांता लग गया है. कहा जा रहा है कि यह शिवलिंग 1200 साल पुराना हो सकता है.

sagar five shivling found
राहतगढ़ के प्रसिद्ध बनेनी घाट पर मिले पांच शिवलिंग

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 13, 2024, 6:08 PM IST

Updated : Feb 14, 2024, 12:06 PM IST

राहतगढ़ के प्रसिद्ध बनेनी घाट पर मिले पांच शिवलिंग

सागर। सागर-भोपाल मार्ग पर स्थित राहतगढ़ बुंदेलखंड ही नहीं बल्कि मध्यभारत और मालवा के इतिहास की कई कहानी कहता है. यहां स्थित भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर जो बुंदेलखंड ही नहीं, बल्कि आसपास के इलाके में प्रसिद्ध है. उसी मंदिर के नजदीक स्थानीय लोगों द्वारा खुदाई करने पर एक चट्टान पर एक ही आकृति के पांच शिवलिंग मिले हैं. जिसके बाद स्थानीय लोग पूजा-अर्चना में लग गए हैं. वहीं जानकारों का कहना है कि राहतगढ़ का किला और शिवमंदिर परमारकालीन शासकों के अधिपत्य में था, जिसका शिलालेख बनेनी घाट राहतगढ़ में मिला है.

करीब 12 सौ साल पुराने शिवलिंग मिले

जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बनेनी घाट पर जहां बाबा विश्वनाथ की जलहरी में 108 शिवलिंग वाला प्रसिद्ध मंदिर है, तो वहां परमारकाल का ऐतिहासिक किला भी है. बीना नदी के किनारे बने इस ऐतिहासिक मंदिर के पास खुदाई करने पर एक चट्टान मिली है. जिसमें एक ही आकृति के पांच शिवलिंग उकेरे गए हैं. शिवलिंग मिलने की जानकारी लगते ही मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड पड़ी और लोग पूजा अर्चना में जुट गए हैं.

शिवलिंग तलाशने खुदाई करते ग्रामीण

मिट्टी के नीचे दब गयी थी शिवलिंग वाली शिला

स्थानीय लोगों का कहना है कि ये चट्टान पहले नजर आती थी, लेकिन समय के साथ चट्टान मिट्टी में दब गयी और लोग शिवलिंग के बारे में भूल गए. राहतगढ के बुजुर्ग महेश सिलावट बताते हैं कि 'हम सालों पहले जब बनेनी घाट जाते थे, वहां हमने पांच शिवलिंग के दर्शन किए हैं. यहां पर दो विशालकाय सांप भी आते थे. जो शिवलिंग के आसपास घूमते रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे चट्टान नजर आना बंद हो गयी. उनकी जानकारी के अनुसार कस्बे के पुष्पेंद्र सिंह राजपूत और सतीश सिलावट ने बताए गए स्थान पर खुदाई का निर्णय लिया.'

स्थानीय युवा राम अवतार, विकास सोनी, रघुवीर ठाकुर और मनोहर यादव ने अपने दोस्तों के साथ खुदाई शुरू की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. इस बीच कुछ बुजुर्गों ने बताया कि जहां खुदाई की जा रही है. वहां से कुछ ही दूरी पर आज भी दो विशालकाय सांप आते हैं. जब युवाओं की टीम ने बुजुर्ग के बताए स्थान पर जहां सांप आते थे, वहां खुदाई शुरू की, तो महज तीन फीट खोदने पर शिवलिंग वाली चट्टान मिल गयी. शिवलिंग मिलने की खबर फैलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग गयी और लोगों ने पूजा-अर्चना शुरू कर दी.

शिवलिंग की पूजा करते ग्रामीण

स्थानीय लोगों का चमत्कार का दावा

स्थानीय पत्रकार धर्मेन्द्र सिंह राजपूत भी खबर मिलते ही मौके पर पहुंचे और शिवलिंग की चट्टान निकलने पर भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए कस्बे में गाय का दूध तलाशने पहुंचे. तो स्थानीय महिला माधुरी तिवारी के आंगन में उन्हें गाय दिखी. उन्होंने गाय का दूध मांगा, लेकिन माधुरी तिवारी ने बताया कि 'गाय ने दूध देना बंद कर दिया है. धर्मेन्द्र सिंह ने जब उनसे दूध दोहने का निवेदन किया, तो दूध ना देने वाली गाय ने भी दूध दिया और इसे भगवान शिव का चमत्कार मानकर लोग भक्ति भाव से ओतप्रोत होकर बनेनी घाट पहुंचे और भगवान का रूद्राभिषेक किया.'

ग्रामीणों ने खुदाई में खोजे शिवलिंग

क्या कहते हैं जानकार

सागर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नागेश दुबे बताते हैं कि 'राहतगढ़ जो क्षेत्र है, वह किला और नदी वाला इलाका है. उसके पास काफी मंदिर पूर्व मध्यकाल के मिले हैं. बनेनी घाट का शिवमंदिर बुंदेलखंड का प्रसिद्ध मंदिर है, तो उसके आसपास एक शिला पर नए शिवलिंग मिले हैं, जो एक चट्टान पर उकेरे गए हैं. इनका निर्माण काल मुझे लगता है कि वो 11वीं और 12वीं शताब्दी का रहा होगा. जिस समय वो मंदिर बना होगा, उसी समय शैव संप्रदाय को मानने वालों ने निर्माण किया होगा. निश्चित रूप से इस इलाके में पूर्व मध्यकाल में के जो शासक और प्रजा रही होगी. वो शैव धर्म को मानने वाली थी. इसलिए यहां से मंदिर और शिव लिंग मिले हैं.'

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उन्होंने कहा कि इनका निश्चित रूप से संबंध बनेनी घाट मंदिर के निर्माण कर्ताओं से रहा होगा. उस समय वहां परमार कालीन शासकों का शासन था. राहतगढ़ किले में परमार काल के राजाओं के अभिलेख भी मिले हैं. जो हरीसिंग गौर पुरातत्व संग्रहालय में है. परमार काल के शासकों का शासन यहां से लेकर पूरे मालवा और धार तक फैला हुआ है. ये क्षेत्र भी उनके अधिकार क्षेत्र में था. यहां से उनका शिलालेख मिलने पर उनके शासन की पुष्टि मिले हुए हैं, तो निश्चित रूप से उनके शासनकाल में बनेनी घाट शिवमंदिर और जो चट्टान पर शिवलिंग मिले हैं, उनका निर्माण परमार काल में ही हुआ होगा.'

Last Updated : Feb 14, 2024, 12:06 PM IST

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