ग्वालियर : अपनी ही पत्नी की हत्या का प्रयास करने वाले आरोपी को कोर्ट में घटना को आत्महत्या बताना महंगा पड़ गया. कोर्ट ने कहा कि आत्महत्या करते व्यक्ति को नहीं बचाना भी अपराध की श्रेणी में आता है और फिर जब पति के सामने पत्नी इस तरह की कोशिश कर रही हो तब पति का दायित्व और ज्यादा बढ़ जाता है. कोर्ट ने इसके बाद पत्नी की हत्या के प्रयास के आरोप में आरोपी हरि मोहन को 10 साल की कठोर सजा से दंडित किया है.
पत्नी की हत्या का किया था प्रयास
अपर लोक अभियोजक मिनी शर्मा ने बताया, '' मामला 9 जुलाई 2021 का है जब पति हरिमोहन ने पत्नी को जान से मारने की कोशिश की थी लेकिन तभी महिला का गोद लिया हुआ बेटा अचानक घर पहुंच गया और उसने अपनी मां को बचा लिया था. चार साल पहले हुई इस घटना के बाद कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. इस दौरान आरोपी ने बचाव में तर्क दिया था कि उसने पत्नी की हत्या का प्रयास नहीं किया बल्कि वो खुद उसके सामने आत्महत्या का प्रयास कर रही थी.''
ऐसे बची महिला की जान
लोक अभियोजक ने आगे बताया, '' आरोपी हरिमोहन और महिला के गोद लिए बेटे को लेकर दोनों के बीच आए दिन विवाद होता था, जिसके बाद आरोपी ने गोद लिए बेटे को घर से निकाल दिया था. इसी बीच 9 जुलाई 2021 को हरिमोहन घर पहुंचा और पत्नी की हत्या करने का प्रयास करने लगा. जब वह मरणासन्न हालत में पहुंच गई तो हरिमोहन ने इसे आत्महत्या दिखाने की योजना बनाई, इसके पहले ही किसी काम से गोद लिया हुआ बेटा घर पहुंचा और उसने पिता को इस वारदात से रोका, साथ ही महिला को अस्पताल में भर्ती कराया. यहां दस दिन के इलाज के बाद महिला ठीक हुई और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई.
कोर्ट ने पति को सुनाई 10 साल की सजा
महिला ने पुलिस को बताया कि किस तरह उसके पति ने उसकी हत्या करने का प्रयास किया. जब कोर्ट में आरोपी पति की ओर से मामले को आत्महत्या का प्रयास बताने की दलील दी गई, तो कोर्ट ने कहा कि आत्महत्या करते व्यक्ति को नहीं बचाना भी अपराध की श्रेणी में आता है. इसके बाद गोद लिए बेटे के बयान और तमाम साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने आरोपी हरिमोहन को दोषी मानते हुए 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है.
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