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गुप्त काल का गवाह 'एरण गांव', यहां मौजूद दुनिया की सबसे ऊंची वराह प्रतिमा, सर्वे खोलेगा गहरे राज - SURVEY AND EXCAVATING ERAN VILLAGE

एरण गांव का हजारों साल पुराना इतिहास है. यह गुप्त साम्राज्य का प्रमुख नगर था. आर्कियोलॉजी डिपार्मेंट यहां सर्वे और उत्खनन का कार्य कर रहा.

SURVEY AND EXCAVATING ERAN VILLAGE
एरण गांव का इतिहास (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 13, 2024, 1:14 PM IST

Updated : Nov 13, 2024, 1:23 PM IST

सागर: बुंदेलखंड की बात करें तो यहां के पुरातात्विक अभिलेख बताते हैं कि, इस इलाके का इतिहास 8 हजार साल से ज्यादा पुराना है. आबचंद की गुफाओं में मिलने वाले शैलचित्र जहां आदिमानव के विकास की कहानी कहते हैं, वहीं जिले के बीना के नजदीक एरण एक ऐसी जगह है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर 4000 साल से ज्यादा पुराना एक समृद्ध नगर बसा हुआ था. जहां 450-500 ईसा पूर्व मानव सभ्यता और संस्कृति के एक से बढ़कर एक अवशेष मिलते हैं. फिलहाल भारत सरकार का आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट यहां सर्वे और उत्खनन का कार्य कर रहा है. ताकि इस नगर के अवशेष ढूंढे जा सकें.

ब्रिटिश और भारतीय पुरातत्वविदों की खोज
डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग के शोधकर्ता डॉ. मशकूर अहमद कादरी के मुताबिक, ''बीना के पास प्राचीन गांव एरण में भगवान विष्णु के 10 अवतारों की मूर्ति, विष्णु मंदिर, 50 फीट ऊंचा गरूड़ स्तंभ और दुनिया की सबसे ऊंची वराह प्रतिमा मिलती है. इसे गुप्त काल का एक समृद्ध नगर भी कहा जाता है. एरण की खोज 1838 ईस्वी में ब्रिटिश पुरातत्वविद टीएस बर्ट ने की थी. इसके बाद भारतीय पुरातत्व विभाग के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1874 और 1875 में इलाके का सर्वेक्षण कराया. यहां प्राप्त प्रतिमा, अभिलेख और अवशेषों का विवरण आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की रिपोर्ट में प्रकाशित हुआ.''

गुप्तकाल से ढाई हजार साल पहले समृद्ध नगर था एरण (ETV Bharat)

सागर यूनिवर्सिटी के विद्वानों का योगदान
बुंदेलखंड में बसे पुरातात्विक महत्व के गांव को प्रकाश में लाने के लिए सागर यूनिवर्सिटी के प्रसिद्ध पुरातत्वविद प्रो. केडी वाजपेयी ने सबसे पहले काम किया और उन्होंने यहां कई ऐसी चीजें तलाश की, जो इस इलाके को विश्व पटल पर लाने में महत्वपूर्ण थीं. एरण को प्रकाश में लाने का कार्य सागर यूनिवर्सिटी के पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष और भारत के प्रसिद्ध पुरातत्वविद प्रो. केडी वाजपेयी ने किया. प्रोफेसर वाजपेयी के अलावा उदयवीर सिंह श्याम कुमार पांडे और विवेक दत्त जान भी यहां उत्खनन करके कई महत्वपूर्ण रहस्य खोले.

एरण गांव में स्थि विष्णु मंदिर (Facebook Image)

4 हजार साल पुराना समृद्ध नगर
पुरातत्वविद दावा करते हैं कि एरण में गुप्त काल से भी काफी पुराना समृद्धशाली महत्वपूर्ण नगर था. डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग के शोधकर्ता डॉ. मशकूर अहमद कादरी बताते हैं कि, ''एरण गुप्तकाल का बहुत बड़ा स्मारक है. यहां कम से कम पांच गुप्तकालीन मंदिर के खंडहर हैं. इसके साथ महाविष्णु की प्रतिमा, बराह प्रतिमा और महाभारत कालीन प्रमाण मिलते हैं. लेकिन एरण गांव गुप्तकाल के बहुत पहले बसा हुआ था. एरण में सागर यूनिवर्सिटी के प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग ने तीन उत्खनन लगातार किए. 1968 से 1972 तक प्रो. केडी वाजपेयी ने उत्खनन किया. उसके बाद प्रो. केडी वाजपेयी के साथ उदयवीर सिंह, श्याम कुमार पांडे और डाॅ. विवेक दत्त झा ने वहां उत्खनन किए हैं. जिससे पता चलता है कि एरण गुप्तकाल से लगभग दो ढाई हजार साल पहले अस्तित्व में था.''

एरण गांव का हजारों साल पुराना इतिहास (Facebook Image)

ईसापूर्व चौथी शताब्दी के सिक्के
शोधकर्ता डॉ. मशकूर अहमद कादरी कहते हैं, ''मौर्य वंश से पहले एरण का अस्तित्व मिलता है. ताम्र पाषाण युगीन सभ्यता एरण में थीं, लेकिन हड़प्पा सभ्यता से संबंधित नहीं हैं. ये अलग प्रकार की सभ्यता है. यहां मालवा के मृदभांड, एरण के विशेष मृदभांड, ईसापूर्व चौथी शताब्दी के सिक्के मिलते हैं. यहां समृद्धशाली नगर के अवशेष हैं. एरण के मंदिर से दूरी पर जो वर्तमान एरण गांव है, बीना नदी से तीन तरफ से घिरा हुआ है. जहां 40 फीट ऊंची सुरक्षा दीवार, जो गुप्तकाल से पहले निर्मित हुई थी. उसके अवशेष और खाई है, दो द्वार वहां मिले हैं. एक दांगी राजा का छोटा सा किला मौजूद है. एरण का गुप्तकालीन अवशेष अस्तित्व में है, लेकिन एरण गुप्तकाल से बहुत पहले का नगर है.''

Last Updated : Nov 13, 2024, 1:23 PM IST

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