रुद्रप्रयाग: उत्तर भारत के एकमात्र कार्तिक स्वामी मंदिर आने वाले भक्तों से वन विभाग ने शुल्क लेना शुरू कर दिया है. वन विभाग ने शुल्क की दरें तय की हैं, जिसमें जनपद रुद्रप्रयाग और पोखरी ब्लॉक से आने वाले पर्यटकों को 10 रुपये और अन्य को 50 रुपये शुल्क देना होगा, जबकि हक-हकूकधारी गांवों को शुल्क में छूट दी गई है.
देवभूमि उत्तराखंड के जनपद चमोली और रुद्रप्रयाग के 360 गांवों के आराध्य भगवान कार्तिकेय का मंदिर कार्तिक स्वामी समुद्रतल से 2393 की ऊंचाई पर स्थित है. क्रौंच पर्वत पर स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर को प्रकृति ने अपनी नेमतों से सजाया है. सघन वन क्षेत्र होने के साथ ही मंदिर मार्ग पर प्राचीन धरोहरें यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को आकर्षित करती हैं. उत्तर भारत के इस एकमात्र मंदिर में बीते वर्ष पांच लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे थे. उत्तराखंड सरकार द्वारा कार्तिक स्वामी को पर्यटन सर्किट से जोड़ा जा रहा है.
वहीं रुद्रप्रयाग वन प्रभाग ने कनकचौंरी से कार्तिक स्वामी मंदिर तक पहुंचने के लिए पर्यटकों के लिए शुल्क की व्यवस्था कर दी है. इस नई व्यवस्था में रुद्रप्रयाग जनपद के साथ चमोली जिले के पोखरी ब्लॉक के लोगों को मंदिर तक पहुंचने के लिए सिर्फ 10 रुपये शुल्क देना होगा. वहीं, अन्य जनपदों के साथ ही बाहरी क्षेत्रों से आने वाले पर्यटकों के लिए 50 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है. शुल्क से जमा हो रही धनराशि को कनकचौंरी से मंदिर तक नियमित साफ-सफाई पर खर्च की जाएगी. इसके लिए तीन स्थानीय लोगों को तैनात किया गया है.
कार्तिक स्वामी मंदिर समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह नेगी ने बताया कि कोरोनाकाल के बाद से कार्तिक स्वामी मंदिर एक नए तीर्थस्थल और पर्यटन केंद्र के रूप में उभरकर सामने आया है. वन विभाग ने अब मंदिर तक पहुंच के लिए न्यूनतम शुल्क व्यवस्था की है, जो सही पहल है. शुल्क से जो धनराशि जमा होगी, उसका उपयोग यात्री व्यवस्थाओं के लिए किया जाना है.