लखनऊ: वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने 14 संशोधन पर अपनी आखिरी मुहर लगाकर पास कर दिया है. जिस पर मुस्लिम संगठन नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने इस विधेयक को पसमांदा समाज के अधिकारों पर हमला बताया है. उन्होंने आरोप लगाया कि ये विधेयक वंचित वर्गों के हितों की अनदेखी कर अमीर और प्रभावशाली लोगों को फायदा पहुंचाने का षड्यंत्र है.
वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी की रिपोर्ट पर बवाल, पसमांदा मुस्लिम समाज ने बिल के संशोधित न होने पर दी आंदोलन की चेतावनी - WAQF AMENDMENT BILL 2024
वक्फ संशोधन विधेयक: पसमांदा मुस्लिम समाज पर हमले का आरोप, सरकार के खिलाफ विरोध की चेतावनी
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Jan 28, 2025, 7:49 PM IST
पसमांदा समाज की अनदेखी का आरोप
अनीस मंसूरी ने कहा कि वक्फ की स्थापना गरीब, यतीम, विधवा और बेसहारा लोगों की मदद के लिए की गई थी. लेकिन वक्फ बोर्डों और मुतवल्लियों ने इन संपत्तियों का लंबे समय से दुरुपयोग किया है. उन्होंने कहा, ये विधेयक वंचितों को उनके अधिकारों से पूरी तरह वंचित कर देगा और संपत्तियां अमीर और प्रभावशाली लोगों के हाथ में चली जाएंगी.
वक्फ में गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर आपत्ति
विधेयक में वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है. इसे लेकर मंसूरी ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा, वक्फ संपत्तियां मुस्लिम समुदाय की धार्मिक धरोहर हैं. इन पर गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति वक्फ की मूल अवधारणा के खिलाफ है. ये मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक संपत्तियों को कमजोर करने का षड्यंत्र है.
सरकार पर गंभीर आरोप
पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार इस विधेयक के जरिए मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक संपत्तियों पर सरकारी कब्जा करना चाहती है. उन्होंने कहा कि सुधार के नाम पर सरकार पसमांदा समाज के अधिकार छीन रही है. ये विधेयक वंचित और जरूरतमंद वर्गों के अधिकारों को कुचलने की कोशिश है.
पसमांदा समाज की प्रमुख मांगें
-गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान हटाया जाए
-वक्फ संपत्तियों का इस्तेमाल गरीबों, विधवाओं और यतीम बच्चों के कल्याण के लिए सुनिश्चित किया जाए
-वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए पसमांदा समाज की भागीदारी सुनिश्चित की जाए
-विवाद निपटारे के लिए एक स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायाधिकरण का गठन हो
आंदोलन की चेतावनी
मंसूरी ने चेतावनी दी कि यदि इस विधेयक को संशोधित नहीं किया गया, तो पसमांदा समाज देशभर में लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करेगा. उन्होंने अन्य मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों से इस विधेयक के खिलाफ एकजुट होने की अपील की. उन्होंने कहा कि पसमांदा समाज अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएगा. हम इस विधेयक को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेंगे.
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