समस्तीपुर: बिहार के किसान मशरूम की खेती में देश के अन्य राज्यों के मुकाबले टॉप पर हैं. इसमें समस्तीपुर के केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा का अहम योगदान है. इसने मशरूम के क्षेत्र में पूरे देश में खास स्थान बनाया है. दरअसल अब मशरूम सिर्फ सब्जी नहीं रहा, इसके अबतक 52 प्रोडक्ट्स इस यूनिवर्सिटी ने बनाया और इसको अपने नाम पर पेटेंट भी किया है. सबसे खास बात ये है कि मशरूम के यह दर्जनों उत्पाद आज सूबे में रोजगार का सशक्त जरिया भी बन रहा है.
मशरूम की खेती में इस विश्वविद्यालय का कमाल: मशरूम अब सिर्फ सब्जी के लिए नहीं उगाया जा रहा, अब आप इसका पनीर, बिस्किट, लड्डू, मिठाई, समोसा ,पापर, आचार जैसे एक दो नहीं अनेकों उत्पाद बना सकते हैं. दरअसल बिन खेत इस खेती को लेकर राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा का प्रयास देश स्तर पर काफी खास है. विश्वविद्यालय का मशरूम विभाग न सिर्फ इसकी खेती को लेकर किसानों को ट्रेनिंग दे रहा, बल्कि यह मशरूम को लेकर रोज खास प्रयोग के जरिये रोजगार का एक बेहतर विकल्प भी लेकर आया है.
मशरूम के 52 प्रोडक्ट: यूनिवर्सिटी के एडवांस सेंटर ऑफ मशरूम रिसर्च के प्रभारी आर.पी. प्रसाद ने बताया कि वर्तमान में यंहा एक दो नहीं कुल 52 मशरूम के उत्पाद बनाए जा चुके हैं. इसके अलावा वर्तमान में भी मशरूम से बनने वाले अन्य खाद्य उत्पाद को लेकर रिसर्च चल रहा. इस यूनिवर्सिटी ने मशरूम के कुल 52 प्रोडक्ट का पेटेंट भी कराया है. साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार मशरूम उत्पादन में देश का नंबर वन राज्य है, जो गर्व की बात है.