उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

नदी के बड़े पत्थर पूरा नहीं होने दे रहे PM मोदी का सपना; डेंजर जोन में गाजीपुर-बनारस का 19 किमी एरिया - VARANASI WATERWAYS CONNECTIVITY

पूरी तरह जलमार्ग से नहीं जुड़ पा रहा बनारस, कोलकाता-हल्दिया से नहीं आ पा रहे मालवाहक जहाज.

रामनगर बंदरगाह पर नहीं आ पा रहे बड़े जहाज.
रामनगर बंदरगाह पर नहीं आ पा रहे बड़े जहाज. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 4, 2025, 12:35 PM IST

वाराणसी : जल परिवहन में गाजीपुर से बनारस के बीच 19 किमी का हार्ड स्टेटा बड़ा बाधक बना हुआ है. इसकी वजह से पीएम मोदी का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है. साल 2014 में बनारस से सांसद बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. उस दौरान उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को सड़क, रेल, वायु यातायात के अलावा जल मार्ग से भी जोड़ने की प्लानिंग की. इससे गंगा किनारे बसे इस शहर में कोलकाता से लेकर हल्दिया तक और अन्य जगहों से भी बड़े-बड़े जल वाहनों को लाना आसान था. बेहद अहम होने के बावजूद यह योजना उम्मीद के मुताबिक परवान नहीं चढ़ पाई.

पूरी तरह जलमार्ग से नहीं जुड़ पा रहा बनारस (Video Credit; ETV Bharat)

लगभग 184 करोड़ रुपये की लागत से साल 2018 में बनकर तैयार हुए रामनगर बंदरगाह को आज भी बड़े जहाजों का इंतजार रहता है. इसकी बड़ी वजह गंगा में पानी की कमी और गाजीपुर से बनारस के बीच 19 किलोमीटर तक हार्ड स्टेटा है. यह बड़े जहाजों को बनारस आने से रोक रहा है. इसकी वजह से 6 साल में महज 6 मालमाहक जहाज ही वाराणसी पहुंच सके हैं. आइए जानते हैं बनारस में बड़े जहाजों के न आने के पीछे का कारण क्या है...

कोयला लेकर आ रहा एक और जहाज :दरअसल वाराणसी में जल परिवहन को बढ़ाने के लिए पीएम मोदी के विजन के बाद भारतीय अंतर्देशीय जल मार्ग प्राधिकरण का कार्यालय यहां खुला. वर्तमान में कार्यालय के प्रभारी आरसी पांडेय का कहना है कि बनारस में ऑफिस तो खुला, लेकिन हेड ऑफिस अभी भी नोएडा में है. सभी निर्णय वहीं से लिए जाते हैं. वाराणसी में हाल ही में अभी एक नया मालवाहक जहाज आने वाला है. यह कोयला लेकर आ रहा है. उन्होंने बताया कि प्लानिंग तो बहुत की जा सकती है, लेकिन दिक्कत यह है कि गाजीपुर से बनारस के बीच लगभग 19 किलोमीटर का एरिया बेहद ही डेंजर जोन में है. इसमें हार्ड स्टेटा महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. यह बड़े जहाजों को जल मार्ग से बनारस आने से रोकता है.

भारतीय अंतर्देशीय जल मार्ग प्राधिकरण का कार्यालय. (Photo Credit; ETV Bharat)

बड़े पत्थरों को हटाना बेहद जरूरी :कार्यालय प्रभारी ने बताया कि नदी में पानी कम हो जाता है तो बालू भी ऊपर आने लगता है. बालू का खनन कराया जा सकता है लेकिन पत्थर के जो बड़े-बड़े टुकड़े आ रहे हैं, उनको हटाना ज्यादा महत्वपूर्ण है. विस्फोट या कटर के जरिए ही उन्हें काटकर अलग किया जा सकता है. हेड ऑफिस स्तर से टेंडर प्रक्रिया को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है.

इस वजह से जहाजों को हो सकता है बड़ा नुकसान :विभाग के एक्सपर्ट इंजीनियर का कहना है कि हार्ड स्टेटा एक ऐसी स्थिति है जो जहाजों के लिए बड़ा संकट पैदा कर सकती है. बड़े जहाज किसी भी ऐसी जगह पर नहीं जा सकते जहां बर्फ के बड़े टुकड़े हो या पानी के अंदर पत्थर हों. ऐसे हालत जहाज को नुकसान पहुंचाते हैं. वाराणसी-गाजीपुर के बीच 19 किलोमीटर के एरिया में चकरी से 4 किलोमीटर, गाजीपुर के नजदीक 2 किलोमीटर और गोमती अपर हिस्से में 3 किलोमीटर के आसपास का एरिया बहुत ही खतरनाक है.

यहां पर पानी के अंदर मौजूद बड़े-बड़े पत्थर जहाज को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसी स्थिति में जब बाढ़ आए या पानी ज्यादा हो तभी बड़ी नौका-क्रूज या बड़े मालवाहक जहाज नदी के रास्ते हल्दिया, बिहार और अन्य जगहों से वाराणसी आ सकते हैं. इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि पत्थरों को हटाया जाए.

रामनगर बंदरगाह पर बड़े जहाजों का इंतजार. (Photo Credit; ETV Bharat)

बाढ़ के समय ही आ पाते हैं बड़े क्रूज :वर्तमान समय में वाराणसी में गंगा विलास क्रूज अक्टूबर से ही खड़ा है. इसका संचालन अब तक नहीं हो पाया है. इसके अतिरिक्त गंगा में 4 क्रूज संचालित हो रहे हैं, जो लोकल स्तर पर छोटे हैं. जब गंगा में बाढ़ आती है तब राजमहल और अन्य कुछ क्रूज वाराणसी पहुंचते हैं, लेकिन आम दिनों में जब गर्मियां या ठंड का मौसम होता है तो कोई भी बड़ा मालवाहक और पर्यटकों को लेकर आने वाला क्रूज वाराणसी नहीं आ पाता. इसके पीछे की बड़ी वजह गाजीपुर से वाराणसी के 19 किलोमीटर का यह डेंजर जोन ही है. यहां पर गहराई कम होने और पत्थरों के कारण क्रूज को नुकसान पहुंच सकता है.

यह भी पढ़ें :आगरा के लोगों को 35 साल से रबर डैम का इंतजार, 4 बार शिलान्यास के बाद भी नहीं शुरू हो सका काम

ABOUT THE AUTHOR

...view details