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Rajasthan: ऋषिवर किरीट भाई बोले- आज आध्यात्मिक आयोजन और त्योहारों में होता है सिर्फ मनोरंजन

शिव महापुराण कथा वाचक ऋषिवर किरीट भाई का बड़ा बयान. कहा- आज आध्यात्मिक आयोजन और त्योहारों में होता है सिर्फ मनोरंजन.

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 5 hours ago

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ऋषिवर किरीट भाई का बड़ा बयान (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर :करीब 30 साल पहले अंतरराष्ट्रीय ब्राह्मण समाज और विश्व धर्म संसद से ब्रह्मऋषि की उपाधि और पद से अलंकृत हो चुके ऋषिवर किरीट भाई 21 से 27 अक्टूबर के बीच जयपुर में शिव महापुराण कथा का वाचन करेंगे. इससे पहले शनिवार को पत्रकारों से रूबरू हुए किरीट भाई ने कहा कि आज आध्यात्मिक आयोजन और त्योहारों में सिर्फ मनोरंजन होता है, जबकि मनोमंथन होना चाहिए. वहीं, उन्होंने कथा वाचकों के कंट्रोवर्सी में पढ़ने के सवाल पर कहा कि जिन्होंने उपनिषद, ब्रह्म सूत्र और गीता का अध्ययन किया हो वो किसी कंट्रोवर्सी में नहीं आता.

जयपुर के जय क्लब में 21 से 27 अक्टूबर तक शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन होगा, जिसकी शुरुआत नृसिंह मंदिर से निकलने वाली कलश यात्रा के साथ होगी. शिव महापुराण कथा को लेकर कथा वाचक ऋषिवर किरीट भाई ने कहा कि शिव पुराण जगत के सामने एक ऐसा ग्रंथ है जो जीवन जीने की कला बताता है. इतना ही नहीं जो लोग हार गए, थक गए, निराश हो गए उनको जीवन की किसी भी क्षेत्र में यदि सफल होना है तो उसका मार्गदर्शन शिव पुराण में मिलता है.

शिव महापुराण कथा वाचक ऋषिवर किरीट भाई (ETV BHARAT JAIPUR)

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इसमें सिर्फ भगवान शिव की पूजा-आराधना मंत्र ही नहीं है, बल्कि ये सफलता की कुंजी है. आप चाहे किसी को भी मानते हो जब तक शिवजी की भक्ति और आराधना ना करें, तब तक किसी भी तरह की भक्ति सिद्ध नहीं होती है. इसलिए 21 से 27 अक्टूबर यानी 7 दिनों में शिव तत्व कथा, निर्गुण ब्रह्म प्राकट्य पर प्रवचन होगा. सती चरित्र और पार्वती प्राकट्य पर कथा होगी. शक्ति उपासना, शिव पूजा विधि, शिव पार्वती विवाह, कार्तिकेय कथा, गणेश महिमा जन्म, विविध रक्षा चरित्र और द्वादश ज्योतिर्लिंगों की जानकारी देते हुए समापन यज्ञ होगा.

इस दौरान कथा वाचक किरीट भाई ने कहा कि आज कथाओं में मनोमंथन की बजाय मनोरंजन होने लगा है, जबकि इस तरह के आध्यात्मिक आयोजनों में मनोमंथन होना चाहिए. आज त्योहार भी सिर्फ मनोरंजन तक सिमट कर रह गए हैं, मनोमंथन साइड में रह गया है. जबकि उनकी व्यास गद्दी का उद्देश्य संस्कार देना और सत्य की राह दिखाना है.

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